बच्चों के मुंह में जख्म का कारण तथा उपचार । Homeopathic Treatment For Sore Mouth

खान – पान के दोष , पाकाशय की गड़बड़ी या मुँह को अच्छी तरह साफ न रखने के कारण , जन्म होने के तीन सप्ताह बाद और कभी कभी बच्चों के कुछ बढ़े होने पर उन्हें यह रोग हो जाता है । इसे मुँह का फलना भी कहते हैं ।

यह रोग होने पर मुँह के अन्दर , होंठ , मसूड़े और गालों में लाल लाल दाने निकलते हैं । इन दोनों पर सफेद लेप चढ़ा रहता है । देखने में ऐसा मालूम होता है , मानों दूध जम गया है । इस लेप को साफ करने पर इसके नीचे लाल लाल जख्म दिखाई देते हैं । रोग बढ़ने पर गला और पाकाशय तक यह जख्म बढ़ जाते हैं । इसके कारण बच्चा दूध नहीं पी सकता और मुँह से अनवरत लार टपका करती है ।

बच्चों के मुंह में जख्म का होम्योपैथिक उपचार । Homeopathic Treatment For Sore Mouth

  • मक्युरियस सल्फ 30 या 200 (4 बुंद दिन में दो बार) – यह इस रोग की बढ़िया दवा है । रोग दिखाई देते ही या मुँह से बहुत लार निकलने और मुँहमें जख्म हो जाने पर इसे देना चाहिये ।
  • सल्फर 30 या 200 (2 बुंद 2 बार) –मर्क्युरियस से लाभ न होने पर इसे देना चाहिये ।
  • आर्सेनिक 30 या 200 (4 बुंद दिन में 3 बार) – तेज बीमारी में उपरोक्त दोनों दवाओं से लाभ न होने पर या मुँह में प्रदाह , प्रदाहित स्थान में नीलापन , मुँइ में बदबू ,बदबूदार पतले दस्त , अस्थिरता , बहुत कमजोरी और प्यास आदि लक्षणों में इसे देना चाहिये ।
  • बोरेक्स 30 (4 बुंद 3 बार) – मुँह में जख्म , दूध पीने के समय बच्चे का रोना , दर्द के कारण बारम्बार स्तन को छोड़ देना इत्यादि ।
  • नाइट्रिक एसिड 30 या 200 (2 बुंद 2 बार) – समूचे मुँह में बदबूदार जख्म , मुँह से बदबू निकलना , मसूढ़ों से खून निकलना , मुँह से हमेशा जख्म करने वाली लार बहते रहना इत्यादि । माता – पिता को गरमी का दोष होने के कारण बच्चों को यह रोग होने पर इससे विशेष लाभ होता है ।
  • कल्केरिया कार्ब 30 या 200 (4 बुंद 2 बार) – बच्चों को दाँत निकलने के समय मुँह में जख्म , साथ ही सफेद सफेद अजीर्ण दस्त , चेहरे पर पसीना , पैर भीगे और ठण्ढे , गण्डमाला धातु इत्यादि ।
  • कार्बोवेज 30 या 200 (6 बुंद 2 बार) – मुँह में सड़न , मुँह सूखा और गरम , बदबूदार लार , कभी कभी उसके साथ खून निकलना इत्यादि ।
  • केमोमिला 30 या 200 (2 बुंद 3 बार) – चिड़चिड़े स्वभाव वाले बच्चों को दाँत निकलने के समय यह रोग होने पर इसे देना चाहिये ।
  • बेष्टीशिया 1 x या 3x- मुँहसे बहुत लार निकलना , गिल्टियों का प्रदाहित हो उठना , मुँह में बदबू , पतली चीजों के अलावा और कुछ भी निगल न सकना इत्यादि ।

आवश्यक सूचना –

सुहागा भूनकर उसका चूर्ण शह दमें मिला कर बच्चे के मुँह में लगा देने से लाभ होता है ।

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