
शास्त्रों में नवरात्र को आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का समय माना गया है। इसलिए नवरात्र के कई नियम हैं जिनका पालन व्रत करने वालों और व्रत न करने वालों को भी करना चाहिए। जानें कौन से हैं वो नियम-
1 – शुद्धता और पवित्रता जरुरी- नवरात्र शुद्धता से जुड़ा पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक पूर्ण पवित्रता और सात्विकता बनाए रखते हुए देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करने का विधान है। इसलिए नवरात्र के दिनों बहुत से श्रद्धालु कपड़े धोने, शेविंग करने, बाल कटाने और पलंग या खाट पर सोने से बचते हैं।
2 – विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्र में व्रत के समय बार-बार पानी पीने, दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और स्त्री के साथ संबंध बनाने से भी व्रत खंडित हो जाता है। यानी नवरात्र में पति-पत्नी को साथ सोने से भी बचना चाहिए।
3 – नहीं होता विवाह- नवरात्र के दिनों में विवाह का आयोजन भी नहीं होता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि विवाह का उद्देश्य वंश वृद्घि यानी संतान की उत्पत्ति है। जबकि नवरात्र के दिनों में काम और स्त्री प्रसंग से दूर रहने का नियम है। यह भक्ति और आस्था में डूबने का समय होता है। विवाह संस्कार होने से मां की आराधना से व्यक्ति वंचित हो सकता है।
4 – रात्रि में पूजा- शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि नवरात्र के दिनों में रात्रि के समय देवी की पूजा अधिक फलदायी होती है क्योंकि देवी रात्रि स्वरुप हैं और भगवान शिव दिन के स्वरूप। इसलिए नवरात्र के दिनों में मन को एकाग्र करके देवी में ही लगाना चाहिए न कि उन्य चीजों में।
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