
Synonyms – Joint ill , Omphalitis , Pyosepticaemia , Inflammation of external visible part of navel cord
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नाभि रोग क्यों होता है ।
जन्म के बाद नवजात पशु बछड़े , कटड़े आदि की गर्भनाल या नेवल कॉर्ड या अम्बलिकल कॉर्ड में सूजन आ जाने को नेवल इल या सूंडी पक जाना कहते हैं । मां के गर्भ में विकास के दौरान ही ऐसा इन्फेक्शन नवजात पशु में आ सकता है या जन्म के बाद भी कई तरह के बैक्टीरिया के कारण हो सकता है ।
नाभि रोग किसे होता है ।
प्रायः नेवल इल जन्म के 2 से 5 दिन बाद अधिक होता है तथा लगभग सभी प्रजाति के पशुओं के नवजातों में होता है ।
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नाभि रोग का कारण क्या है । ETIOLOGY OF NAVEL ILL
ETIOLOGY- यह कई प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है ।
Calves – Streptococcus , Staphylococcus , Corynebacteria , E.coli , Serophorus necrophorus , Salmonella , Cl.tetani ( lambs ) .
इन्फेक्शन कैसे होता है ? ( Mode of Infection )
- जिन दुधारु पशुओं में ब्याने से पहले मेट्राइटिस व प्लेसेंटाइटिस होता है उनके नवजात पशुओं में नेवल इल हो जाता है ।
- जन्म के बाद नवजातों में आहार , सांस के जरिए या नाभि के जरिए इन्फेक्शन होता है । गाय के बछड़ों में अधिकतर नाभि यानी अम्बलिकस ( umblicus ) के जरिए ही ” सूंडी पकना ” रोग होता है ।
- जो नवजात गर्भकाल के पूरे समय के बाद पैदा होते हैं उनमें नेवल इल कम होता है जबकि अधूरे समय में जन्म लेने वाले बछड़ों में अधिक होता है ।
- गर्भनाल को गंदे चाकू से काटना , एंटीसेप्टिक नहीं लगाना , अन्य पशु व स्वयं बछड़े द्वारा नाल को चूस लेना आदि के कारण इन्फेक्शन होता है ।
नाभि रोग का लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF NAVEL ILL
- सूंडी ( umblicus ) सूजकर आकार में बड़ी हो जाती है ।
- सूंडी की एब्सेस से एक छोटे फिस्चुला के जरिए मवाद बाहर निकलती रहती है । कभी – कभी यह फूल कर बहुत बड़ी हो जाती है ।
- प्रायः बछड़े – बछड़ियों में इस दौरान अम्बलिकल हर्निया भी हो सकता है ।
- हल्का बुखार , सुस्त , नवजात बछड़ा मां का दूध भी नहीं पीता है ।
- पैरों के जोड़ों में आर्थाइटिस के कारण सूजन हो जाती है जो गर्म व पीड़ादायक होती है । मुख्य रुप से styfle and knee joint arthritis होती है ।
- आर्थाइटिस के कारण पशु अपने पैरों पर वजन नहीं रख पाता है तथा अधिक दर्द के कारण पशु खड़े रहने की बजाय लेटा या बैठा रहता है ।
- कुछ विशेष बैक्टीरिया पैर के जोड़ों में भारी सूजन पैदा करते हैं जिस से कभी – कभी ज्वाइंट कैप्सुल फट जाता है ।
- अधिक दिनों तक इलाज न होने पर जोड़ों में फाइब्रोसिस हो जाता है ।
- कभी – कभी जोड़ों के साथ इन्फेक्शन हार्ट , ब्रेन व आंखों में भी पहुंच जाता है ।
- जब तक अंबलिकस में ही इन्फेक्शन रहता है पशु को इलाज द्वारा बचाया जा सकता है लेकिन जोड़ों में मवाद पड़ने पर स्थिति गंभीर हो जाती है । इसलिए इलाज जितना जल्दी हो सके , करना चाहिए ।
- इलाज नहीं होने पर Toxaemia Septicaemia के कारण मौत हो जाती है ।
नाभि रोग का डायग्नोसिस कैसे करें । DIAGNOSIS OF NAVEL ILL
- हिस्ट्री व लक्षणों के आधार पर |
- ज्वाइंट का फ्लूड व पस से बैक्टीरिया की जांच द्वारा ।
नाभि रोग का उपचार क्या है । TREATMENT OF NAVEL ILL
- सबसे पहले यह जांच करें कि अंबलिकल हर्निया हुआ या नहीं ।
- यदि हर्निया है तो अंबलिकस एब्सेस को ओपन नहीं करें तथा सावधानीपूर्वक ऑपरेशन कर हर्नियल रिंग को बंद करें । इस दौरान सावधानी रखें कि एब्सेस ओपन होने से मवाद नहीं फैले । इसलिए एब्सेस पॉकेट को सावधानीपूर्वक बाहर निकालें ।
- हर्निया नहीं होने पर अंबलिकल एब्सेस को नाल के नीचे पर्याप्त criss – cross incision ( + ) देकर मवाद को बाहर निकालें । इसे लाल दवा के हल्के घोल से अच्छी तरह धोकर टिंचर आयोडिन लगाएं ।
- यदि नेवल इल के साथ जोड़ों में ज्वाइंट इल भी हो चुका है तो जोड़ों में हॉट कामेन्टेशन करें ।
- जोड़ों में दर्द व सूजन के लिए Inj . Streptopenicillin + Dexamethasone मिलाकर ऐसेप्टिक तरीके से सीधा I / articular लगाएं । साथ ही I / M या I / V भी antibiotics दें ।
- Antibiotic drug sensitivity test करा कर उपयुक्त एंटीबायोटिक 5-7 दिन तक लगाएं । Penicillin , Ampicillin , Tetracycline , Neomycin , Cloxacillin .
नाभि रोग का रोकथाम क्या है । CONTROL OF NAVEL ILL
- पशुओं के ब्याने के आस – पास की जगह की पूरी सफाई रखें ।
- जन्म के बाद नवजात की सूडी ( navel cord ) को काटने का पूरा ध्यान रखें । साफ चाकू या ब्लेड से काट कर ऊपर टिंक्चर आयोडिन लगाएं ।
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