हालांकि मेस्टाइटिस मुख्य रूप से बैक्टीरिया से होती है लेकिन भारत में गायों व भैंसों में फंगस के द्वारा भी मेस्टाइटिस कभी – कभी होती है । भारत में लगभग हर राज्य के गाय , भैंस व बकरियों में यह बीमारी होती है । प्रायः यह देखा गया है कि इन पशुओं में जब फंगल मेस्टाइटिस होती है तो इसमे एंटीबायोटिक ट्रीटमेन्ट के बाद फंगल मेस्टाइटिस हो जाती है ।

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फंगल मेस्टाइटिस का कारण क्या है । ETIOLOGY OF FUNGAL MASTITIS
कई तरह की फंगस के कारणा होती है । जैसे –
– Aspergillo species – Actinomyces israelii
– Candida species – Nocaredia Species
– Cryptococcus neoformans – Prototheca trispra
– Trichosporon Cutaneum
फंगल मेस्टाइटिस कैसे फैलता है । TRANSMISSION OF FUNGAL MASTITIS
फंगस द्वारा मेस्टाइटिस कैसे व कब हो सकती है यह इस बात पर निर्भर करता है कि फंगस किस प्रकार की है तथा किस तरह पशु शरीर में प्रवेश करती है । एक सामान्य फंगस के निम्न लक्षण होते हैं-
- फंगस शरीर में प्रवेश कर मेमेरी ग्लेण्डस में जमा हो जाती है और वहां काफी समय तक जीवित रह सकती है ।
- पशु बाड़े व अन्य वस्तुओं को कई तरह के घोल से साफ करने के बावजूद फंगस इनके प्रभाव से बच जाती है ।
- एंटीबायोटिक्स का भी फंगस पर असर नहीं होता है ।
फंगस शरीर में कैसे प्रवेश करती है ?
- यदि पशु शारीरिक रूप से कमजोर हो , रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो , अधिक उम्र हो , तो फंगस का हमला आसानी से व जल्दी होगा ।
- प्रायः पहली बार व्याने वाले पशुओं में फंगल इन्फेक्शन ज्यादा होता है ।
- दुधारू पशु के थनों ( teats ) का आकार भी काफी महत्व रखता है ।
- कबूतर में क्रिप्टोकॉकस फंगस बिना कोई लक्षण प्रकट किए रहती है । ऐसे कबूतरों की बीट से मिट्टी , चारा , पानी व वातावरण दूषित हो सकता है ।
- भारत के जिन राज्यों में नमी अधिक रहती है , वहाँ यह रोग अधिक होता है । इनमें बंगाल , आंध्रप्रदेश , तमिलनाडु , उड़ीसा प्रमुख है ।
- जहां पशु बाड़े में गंदगी व नमी अधिक रहती है वहां फंगस पनपने की संभावना अधिक रहती है ।
- दूध दोहने वाले पशुपालकों के फंगस से में संक्रमित हाथ व अन्य उपकरणों से भी इन्फेक्शन हो सकता है ।
फंगल मेस्टाइटिस का जनन कैसेहोता है । PATHOGENESIS OF FUNGAL MASTITIS
अधिकतर जब दुधारू पशुओं में बैक्टीरियल मेस्टाइटिस होती है तो एंटिबायोटिक देने से मेमेरी ग्लेण्डस में मौजूद बैक्टीरिया तो नष्ट हो जाते हैं लेकिन वहां के गले हुए भाग में फंगल इन्फेक्शन के रूप में सेकण्ड्री इन्फेक्शन हो जाता है । और वहां फंगस अपनी कॉलोनी बना लेती है ।
फंगस अडर के अंदर पहले सूजन पैदा होती है फिर फाइब्रोसिस के कारण कठोरता बन जाती है । कई प्रकार की फंगस अंदर एब्सेस द्वारा मवाद पैदा करती है ।
फंगल मेस्टाइटिस के लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF FUNGAL MASTITIS
एक क्लिसियन के लिए बैक्टीरियल मेस्टाइटिस तथा फंगल मेस्टाईटिस में लक्षणों के आधार पर फर्क करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि दोनों में लक्षण लगभग एक जैसे होते है । फिर अलग अलग फंगस के कारण लक्षणों में भी कुछ फर्क होता है । वैसे मोटे तौर पर निम्न लक्षण प्रकट होते है –
- भूख कम हो सकती है या नहीं भी ।
- टेम्प्रेचर सामान्य रहता है या बढ़ भी सकता है ।
- अडर में लम्बे समय तक सूजन रहती है । पास में ओडिया भी हो सकता है पास ही लिम्फ ग्रंथियों में सूजन ।
- दूध में कमी या पूरी तरह दूध आना बंद हो जाता है ।
- अडर से पतला हल्का भूरा पीला स्त्राव ( secretion ) निकलता है । जिसमें थक्के या छींछड़े ( flakes ) मिले होते है ।
- फंगल मेस्टाइटिस स्वतः ही ठीक हो जाती है , या फिर पूरी तरह से अडर को खराब कर हमेशा के लिए दूध बनना बंद कर देती है ।
- फंगस मेस्टाइटिस में एंटीबायोटिक्स का कोई असर नहीं होता है ।
फंगल मेस्टाइटिस का डायग्नोसिस कैसे करें । DIAGNOSIS OF FUNGAL MASTITIS
- हिस्ट्री एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होना ।
- लेबोरेट्री जांच लक्षणों के आधार पर ।
फंगल मेस्टाइटिस का उपचार क्या है । TREATMENT OF FUNGAL MASTITIS
वैसे सामान्य कम हानिकारक फंगस से होने वाली मेस्टाइटिस स्वतः ही ठीक हो जाती है , लेकिन Cryptococcus neoformans नामक फंगस से होने वाली मेस्टाइटिस काफी गंभीर होती है क्योंकि इस पर अधिकतर दवाईयों का कोई असर नहीं होता है । फंगस मेस्टाइटिस में निम्न एंटीफंगल मेडिसिन्स प्रयोग में ली जा सकती है –
- Potassium iodide – orally 8-10 gm / daily for one week
- Sodium iodide ( 10 % ) – I/V
- Povidin iodine – I / Mammary for 5 days
- Micozole ( 400mg ) – I/V and Thiabendazole oraily for 3 days
- Antifungal antibiotics – Nystatin , Amphotericin – B
फंगल मेस्टाइटिस का रोक थाम क्या है । CONTROL OF FUNGAL MASTITIS
- फगस के कारण एक बार मेस्टाइटिस हो जाने पर पशु की सामान्य स्थिति में लाना तथा दुग्ध उत्पादन क्षमता सामान्य करना बहुत मुश्किल है ।
- पशु बाड़े की सफाई , दूध दूहते समय व्यक्ति के हाथों की सफाई ।
- पशु को फंगस रहित चारा , दाना देवें । पशु आहार को नमी से बचाएं ।
- जब भी पशु के मेस्टाइटिस हों , दूध ही एंटीबायोटिक सेंसेटिविटि टेस्ट अवश्य कराएं तथा बैक्टीरियल मेस्टाइटिस में सम्बन्धित एंटीबायोटिक का ही प्रयोग करें । अंधाधुंध ढंग से मनचाहे एंटीबायोटिक प्रयोग में नहीं करनी चाहिए ।
- यदि संभव हो तो जब गाय दूध नहीं देती हो उस समय थनों में एंटीबायोटिक ट्युब डालनी चाहिए ।
इसे देखें – पशुओं के पथरी का कारण , लक्षण तथा उपचार । TREATMENT OF URINARY CALCULI