Synonyms – Circling disease , Meningo – encephalitis , Silage disease
पशुओं तथा मनुष्य की यह एक जानलेवा बीमारी है जिसमें एनसेफेलाइटिस होती है , दिमागी सूजन आ जाती है । इससे दुधारु पशुओं में एबोर्शन , एंडोमेट्राइटिस व रिपिट ब्रीडर की समस्याएं पैदा होती हैं । गाय व भैंसों में न्यूरोलोजिकल लक्षणों के कारण मौत होती है । यह एक जूनोटिक रोग है । मनुष्य में रोगी पशु का दूध पीने से रोग होता है और मेनिंजाइटिस के कारण दिमागी लक्षण प्रकट होते हैं ।

इसे पढ़ें – पशुओं के नाक से ब्लड आना (नकसीर) का उपचार । TREATMENT OF EPISTAXIS
Table of Contents
लिस्टेरियोसिस का कारण क्या है । ETIOLOGY OF LISTERIOSIS
ETIOLOGY- Bacteria – Listeria monocytogenes
प्रायः ये बैक्टीरिया गोबर व चारा ( साइलेज ) में पाये जाते हैं । 58-59 डि.से. तापमान पर दस मिनट में नष्ट हो जाते हैं । इसके अलावा पशु बाड़ों व अन्य चीजों को एंटिसेप्टिक घोल से धोने पर आसानी से नष्ट हो जाते हैं । ये जीवाणु न तो स्पोर बनाते हैं और न ही टॉक्सिन बनाते हैं । मिट्टी , घास , भूसा आदि में कुछ समय तक जिंदा रह जाते हैं । लिस्टेरिया से दूषित चारा , दाना , पानी व मिट्टी के कारण रोग फैलता है । संरक्षित किया हुआ चारा , भूसा ( साइलेज ) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसीलिए इसे ” साइलेज डिजीज ” कहा जाता है । इसके अलावा रोगवाहक पशु व चूहे भी रोग फैलाते हैं ।
इसे पढ़ें – पशुओं के ब्रेन मे सूजन (एनसेफेलाइटिस) का उपचार TREATMENT OF ENCEPHALITIS
लिस्टेरियोसिस रोग का जनन कैसे होता है । PATHOGENESIS OF LISTERIOSIS
इस रोग से गाय , भैंस , भेड़ , बकरी , घोड़ा तथा जंगली जानवर सभी चपेट में आ सकते हैं । किसी भी मौसम में किसी भी उम्र के पशु को लिस्टेरियोसिस हो सकता है । पशुओं को पौष्टिक खुराक की कमी , अधिक साइलेज खिलाना , मौसम में बदलाव तथा बाढ़ के पानी से घिरे रहने के कारण भी रोग की संभावना अधिक रहती है ।
बैक्टीरिया पशु के आहारनाल द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं । विभिन्न अंगों के साथ ब्रेन में भी पहुंच जाते हैं जिसके कारण वहां मवाद या हीमोरेज हो सकता है । तंत्रिका तंत्र की झिल्ली में सूजन से पेरालाइसिस भी हो सकता है । गर्भाशय में इन्फेक्शन से गर्भपात होता है क्योंकि ग्याभन पशुओं में इन्फेक्शन जल्दी होता है । पशु की जेर अंदर ही रह जाती है तथा सेप्टिसीमिया से पशु की मौत भी हो सकती है । गर्भाशय से थनों में इन्फेक्शन के कारण मेस्टाइटिस हो जाती है और दूध के साथ बैक्टीरिया भी बाहर निकलते हैं ।
इसे पढ़ें – पशुओं के गले में सूजन का उपचार । TREATMENT OF PHARINGITIS
लिस्टेरियोसिस का लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF LISTERIOSIS
इसमें तीन लक्षण प्रमुख हैं Abortion , Encephalitis and Septicaemia .
- Abortion – गर्भकाल के अंतिम समय में गर्भपात होता है । गर्भपात के बाद जेर अंदर ही रह जाती है । म त भ्रूण के आमाशय में रोग के बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं ।
- Encephalitis – किसी भी उम्र , लिंग के पशु चपेट में आने पर शुरू में तेज बुखार के साथ सुस्त होता है व अपना सिर दीवार , पेड़ आदि पर दबाता है ।
– फेसियल पैरालाइसिस के कारण अधिक लार गिरती है ।
– बाद में पशु गोल घेरे की तरह चलता है ( circling movement )
– अंत में रेस्पिरेटरी सिस्टम फेल होने से पशु की मौत हो जाती है ।
- Septicaemia – प्रायः बड़े पशुओं की अपेक्षा कम उम्र के पशुओं में होता है ।
– सुस्ती , कमजोरी , बुखार , दस्त व आंखों में सफेदी ।
– लक्षण प्रकट होने के बाद एक दिन में ही रोगी की मौत हो जाती है ।
लिस्टेरियोसिस का डायग्नोसिस कैसे करें । DIAGNOSIS OF LISTERIOSIS
- हिस्ट्री व लक्षणों के आधार पर ।
- ब्रेन के प्रभावित भाग की बैक्टीरियल जांच द्वारा ।
- लेबोरेट्री में गिनीपिग व खरगोश में इनोकुलेशन द्वारा ।
- Differential diagnosis – रैबीज , लैड पॉयजनिंग , नर्वस किटोसिस ।
लिस्टेरियोसिस का उपचार क्या है । TREATMENT OF LISTERIOSIS
- Antibiotics- पेनिसिलिन , टेट्रासाइक्लिन , सल्फा ड्रग्स , I / M .
- Supportive treatment – फ्लूड थैरेपी , अच्छा मेनेजमेन्ट ।
- भेड – बकरियों में दवाईयों का कोई असर नहीं होता है ।
लिस्टेरियोसिस का रोक थाम क्या है । CONTROL OF LISTERIOSIS
- रोगी पशु के बाड़े की मिट्टी , बिछावन आदि को बदले या जलाएं ।
- गर्भपात होने पर भ्रूण व प्लेसेन्टा को गाड़ें या जलाएं ।
- दूषित सड़ी – गली सब्जियां , फल , चारा आदि को पशुओं को नहीं खिलाएं ।
- पशु बाड़े को पूरी तरह एंटीसेप्टिक घोल से धोएं ।
- रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें ।
- रोग प्रकोप के दौरान सुरक्षा की दृष्टी से पशु आहार में टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक मिलाया जा सकता है ।
लिस्टेरियोसिस का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
लिस्टेरियोसिस एक जूनोटिक रोग है अतः मनुष्य को रोगी पशु का दूध अच्छी तरह उबाल कर पीना चाहिए तथा संक्रमित पदार्थों के सम्पर्क से बचना चाहिए । मनुष्य में इस रोग से एनसेफेलाइटिस व गर्भपात होता है , इसलिए महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए । गर्भवती महिलाओं को रोगी पशु के सम्पर्क में नहीं आना चाहिए । इसी प्रकार पशुचिकित्सकों को पूरी तरह सुरक्षा के साथ गर्भाशय से प्लेसेन्टा बाहर निकालना चाहिए ।
और – पालतू पशुओं में जूओं , किलनी का उपचार । TREATMENT OF LOUSE INFESTATION