हिस्टीरिया होने का कारण तथा होम्योपैथिक उपचार। Treatment of Hysteria

यह एक मानसिक रोग है | यह रोग ज्यादातर महिलाओं में देखा जाता है , प्रायः 14-20 वर्ष की आयु में इस रोग में रोगिणी कभी हसने लगती है तो कभी रोने लगती है | रोगी का अपने मन पर काबू | नहीं रहता है , छोटी – छोटी बातों का असर हो जाता है | ऐसा लड़कों में या पुरुषों में भी हो सकता है | रोगी कभी बेहोश हो जाता है तो कभी अर्ध – निद्रा में चला जाता है |

हिस्टीरिया का कारण क्या है । ETIOLOGY OF HYSTERIA

मानसिक चिंता , दुख , शोक , कोई बात मन में दबाए रखना , डर , प्रेम में निराशा , ईर्ष्या इत्यादि के कारण से यह रोग होता है । इसके अन्य कारणों में अनियमित मासिक धर्म , मासिक धर्म का बंद हो जाना , बांझपन या बहुत दिनों से रतिक्रिया न होना इत्यादि भी हैं ।

हिस्टीरिया का होम्योपैथिक दवा । Homeopathic medicine for Hysteria

  • रोग के शुरुआती अवस्था में , रोगी भीड़ में जाने से डरे , मौत का डर , रोगी अपने मरने का दिन और समय निश्चित करके बताए , इन लक्षणों में – ( एकोनाइट नैप 30 या 200 )
  • रोगी अपनी हंसी रोक नहीं सके , हंसता चला जाता हो , झट से बेहोश हो जाए , एक गाल ठंडी तो दूसरी गर्म हो , बेहोशी के समय शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ जाए तो , हिस्टीरिया की उत्कृष्ट दवा – ( मौस्कस 3 , 6 या 30 )
  • मन बहुत खराब रहना , मृत्यु की इच्छा करना , रोना , रोगी निराश हो जाता हो ऐसा समझ लेता हो कि वह पृथ्वी पर रहने के लायक नहीं है , कभी रोता हो कभी हंसता हो- ( ऑरम मेटालिकम 30 या 6 , दिन में 3-4 बार )
  • रोगी बहुत चिड़चिड़ा और क्रोधी हो , बात – बात पर गाली बके , जरा सी बात पर गुस्सा हो जाए तो इस दवा का प्रयोग करें- ( कैमोमिला 30 या 6 , दिन में 3-4 बार )
  • बीमारी का कारण अगर दुख हो , शोक या डर जाना हो , तो इस दवा से लाभ होता है परंतु यह बहुत दिनों की पुरानी बीमारी की अपेक्षा नई बीमारी में लाभदायक है । रोगी कभी हंसता हो कभी रोता हो , कभी खुशी से फूले न समाता हो कभी दुख से मुरझा जाता हो – ( इग्नेशिया 30 या 6 , दिन में 3-4 बार )
  • दूसरों को नफरत से देखना , उदंड , घमंडी , रोगी ‘ मैं – मैं ‘ किया करता हो ( मैं ऐसा , मैं वैसा ) , अपने ही घर में सब उसे अजीब मालूम पड़े , रोने के मौके पर हंसने लगे और हंसने के मौके पर रोए – ( प्लैटिनम 6X या 30 , दिन में 4 बार )
  • रोगिनी केवल हंसना चाहती हो या हंसती हो , हर वक्त औंघाई और मुंह सुखा रहना किंतु प्यास तनिक भी न लगे , थोड़ा सा भी खा ले तो पेट फूल जाता हो , मासिक धर्म अनियमित हो तो- ( नक्स मॉस्काटा 30 या 6 )
  • रोगिणी को जैसे ही पता चले की कोई उसे देख रहा है तब हांथों की हरकत शुरू कर देती है , अपने भीतर के उत्तेजना को हस्त – संचालन द्वारा बाहर निकालने की कोशिश , जब कोई नहीं देख रहा हो तो रोगिणी ठीक रहे | कोई मोहक – गाना इतना विचलित कर दे की वह पागलों जैसा व्यवहार करने लगती हो – ( टैरेंटूला 6 या 30 , दिन में 4 बार )

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