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होमियोपैथी में टॉनिक Tonic in Homoeopathic
कई रोगियों को टॉनिक शब्द से बड़ा प्रेम होता है । वे चाहे जब चिकित्सक से कोई न कोई टॉनिक देने के लिये निवेदन कर बैठते है । वस्तुत : टोन – अप शब्द से टॉनिक शब्द की उत्पत्ति हुई है । जो दवा शरीर को टोन – अप कर दे अर्थात शक्तिपूर्ण कर दे , वही दवा टॉनिक होती है ।
क्या किसी कैन्सर रोगी को बाजार की अच्छी से अच्छी कथित टॉनिक की शीशी शक्तिपूर्ण कर पायेगी ?
कतई नहीं । असल में जब तक रोग बना है तब तक उसके लिए वास्तविक टॉनिक केवल वही दवा होगी जो उसके मूल रोग को दूर कर दे । रोग से आरोग्य हो जाने के बाद प्रकृति इतनी क्रियाशील हो जाती है कि रोगी के शरीर में शक्ति का स्रोत फूट पड़ता है जैसे कि बांध टूट जाने पर रूकी हई जलधारा । फिर भी , कुछ परिस्थितियों में कुछ दवाएं रोगी के शरीर की क्षतिपूर्ति में प्रकृति को विशेषता से सहयोग करती है । जैसे –
- रक्तस्राव से दुर्बल हुए रोगियों को चायना 6 या 30 बार – बार देने पर रोगी जल्दी स्वस्थ हो जाता है ।
- हस्तमैथुन या अत्यधिक यौनाचार से दुर्बल हुए रोगियों को एसिड फॉस 6 या 30 बार – बार देने पर रोगी जल्दी शक्तिपूर्ण हो जाता है पर आगे रोगी को संयम से रहने की आवश्यकता होगी ।
होमियोपैथी औषध भंडार में अल्फाल्फा , एवेना सैटाइवा और बिदानिया सोमनिफेरा जैसी कुछ ऐसी दवाएं और है , जिनका बलवीर्य वर्धन के लिए इस्तेमाल किया जाता है । इन्हें साधारण भाषा में टॉनिक की श्रेणी में रखा जा सकता है ।
इसे देखें – हिस्टीरिया होने का कारण तथा होम्योपैथिक उपचार। Treatment of Hysteria
( 1 ) अल्फाल्फा
दुर्बल रोगियों के लिए यह एक अच्छी दवा है । बाजार के लौहादि घटित दवाओं से कई गुना अधिक श्रेष्ठ दुर्बल ऊतको या टिशुओं को सबल बनाकर रोगी का वजन बढ़ाने में यह अति श्रेष्ठ है । रोग से आरोग्य हो जाने के बाद इसके सेवन से शरीर तेजी से सबल और पुष्ट बनता है । प्रसव के बाद प्रसूतिका को देने पर बच्चे के लिए दूध की मात्रा बढ़ती है और उसका गुण भी बढ़ता है । दुर्बल सूखे हुए बच्चों के लिए भी यह उपकारी होता है । इसका मूल अर्क सेवन करते है । पांच से दस बूंद दवा वयस्कों के लिए प्रति 4 घण्टे पर , एक चम्मच पानी के साथ । बच्चों को आधी या चौथाई मात्रा , उम्र के अनुसार । कुछ लोग इसे वयस्कों में दस बूंद मात्रा में भोजन के आधा घंटा पूर्व या बाद में देना पसंद करते है ।
( 2 ) एवेना सैटाइवा
इसका प्रत्यक्ष असर मस्तिष्क और स्नायुतंत्र पर होता है । इसलिए स्नायविक कमजोर और धडकन , थकावट , हस्तमैथुन और स्वप्नदोष आदि में उत्पन्न दुर्बलता निद्राहीनता . सिर घुमना , यौनांगों की कमजोरी आदि में कारगर दवा के रूप में इसका उपयोग होता है । गुनगुने जल में मिलाकर इसका मूल अर्क 5 से 10 बूंद , तीन – चार बार प्रतिदिन देना होता है । अल्फाल्फा से इसका असर अधिक गहरा और स्थायी होता है ।
( 3 ) बिदानिया सोमनिफेरा
इसका दूसरा नाम अश्वगंधा है । यह भारतीय औषध अश्वगंधा का ही होमियोपैथिक संस्करण है । एवेना सैटाइवा में वर्णित सभी लक्षणों में यह बहुत उपयोगी दवा सिद्ध है । बाजार में उपलब्ध अनेक कथित बलकारक दवाओं में यह अधिक श्रेष्ठ है । भारतीय शरीर के लिए भारत के भूगोल में उत्पन्न दवा अधिक कारगर होती है । प्रदर आदि से दुर्बल , उदास , कमजोर एवं बांझ स्त्रियों के लिए भी यह बहुत कारगर दवा है । उन्हें यह दवा कुछ अधिक दिनों तक देनी चाहिए । इसका मूल अर्क 20 बूंद सुबह शाम पानी या ताजा दूध के साथ दिया जाता है । आजकल कुछ कंपनियां इन औषधियों का मिश्रण बनाकर बलकारक दवा के रूप में विभिन्न नामों से प्रस्तुत कर रही है पर मूल औषधियां इन मिश्रणों से ज्यादा कारगर होती है ।
इसे देखें – कैन्सर ( Cancer ) का होमियोपैथिक उपचार