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अभिवादन कैसे करे ?
अपने गुरुजनों एवम् बड़ी उम्र वालों के चरण स्पर्श करें , अपने से छोटी उम्र वालों को आशीर्वाद प्रदान करें तथा अपने बराबर उम्र वालों को हाथ जोड़कर देवताओं के नाम का जयकारा करें ।
ईश्वर का अभिवादन किस प्रकार करना चाहिए ?
ईश्वर का अभिवादन वेद पाठ , स्त्रोत पाठी , श्रद्धा , भक्ति एवम् साष्टांग प्रणाम ( क्षैतिज पेट के बल लेटकर ) करना चाहिए ।
साष्टांग प्रणाम करने का कारण स्पष्ट करें ?
साष्टांग प्रणाम करने से उस देवी – देवता को , जिसे आप प्रणाम कर रहे हैं , उनके समाने दृष्टि , मस्तक , तन – मन झुक जाता है तथा अहं भावना नष्ट होकर प्रभु के चरणों को समर्पित हो जाती हैं ।
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कुछ लोग गुड़मार्निंग , गुडनून , गुड ईवनिंग आदि कहकर अभिवादन करते हैं । यह भी उचित नहीं है । क्यो ?
अभिवादन हेतु गुड़मार्निंग आदि अंग्रेजी के शब्दों का प्रचलन ईसाईयों ने किया यूरोप और अमेरिका में साल में 9 महीने बर्फ पड़ती है . बाकि 3 महीने सर्दी रहती है , इसलिए वहाँ सूर्य बहुत कम दिन दिखाई देता है . जब भी सूर्य निकलता है तो वहाँ के लोग एक दूसरे को गुड़ मार्निंग विश करते हैं , इसी तरह बर्फ ना पड़े रात में , तो एक दूसरे को गुड़ नाईट बोलकर सोते हैं ।
किन्तु आश्चर्य की बात की अभिवादन के इन शब्दों में कहीं भी ईश्वर का नाम नहीं हैं , और न ही कृतज्ञता जो ईश्वर के प्रति होती हैं जबकि जय राम , राधेकृष्ण , सीताराम आदि शब्दों के उच्चारण मात्र से ही जीभ पवित्र हो जाती हैं । यदि किसी के घर चोरी हो गयी है या कोई अप्रिय घटना घटित हो गयी हैं और सुबह सुबह आप उसके घर पहुँचकर ‘ गुड़मार्निंग ‘ कहें तो जल भुनकर राख हो जायेगा जबकि उसकी तो मार्निंग खराब हो चुकी हैं । जहाँ आप गुड़ मार्निग बोलते हैं वहाँ ‘ राम – राम ‘ कहेंगे तो सामने वाला प्रेमपूर्वक आपका अभिवादन स्वीकार करेगा ।
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