
Table of Contents
मिरगी का कारण क्या है ?
शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को मिरगी अधि कांश रूप से आती है । अत्यधिक शराब पीना , अधिक शारीरिक श्रम , सिर में चोट लगने से यह बीमारी हो सकती है । इस रोग में अचानक से दौरा पडता है और रोगी गिर पडता है । हाथ और गर्दन अकड़ जाती है , पलकें एक जगह रूक जाती हैं , रोगी हाथ पैर पटकता है , जीभ अकड़ जाने से बोली नहीं निकलती , मुँह से पीला झाग निकलता है । दात किटकिटाना और शरीर में कपंकपी होना सामान्य रूप से देखा जाता है । चारों तरफ या तो काला अंधेरा दिखाई देता है या सब चीजें सफेद दिखाई देती हैं । इस तरह के दौरे 10-15 मिनट से लेकर 1-2 घण्टे तक के भी हो सकते हैं । पुनः रोगी को जब होश आता है तब थका हुआ होता है और सो जाता है ।मिरगी ठीक करने का मंत्र
मिर्गी का लक्षण : –
चक्कर से गिरकर बेहोश हो जाना और मुंह से झाग आना , शरीर अकड़ना ।
मिरगी का घरेलू उपचार :-
- दौरा पड़ने पर रोगी को दांयी करवट लिटायें ताकि उसके मुँह से सभी झाग आसानी से निकल जायें । दौरा पड़ने के समय रोगी को कुछ भी न खिलायें बल्कि दौरे के समय अमोनिया या चुने की गंध सुंघानी चाहिये इससे उसकी बेहोशी दूर हो सकती है ।
- ब्राह्मी बुटी का रस 1 चम्मच प्रतिदिन सुबह – शाम पिलाने से आधा रहने पर हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में 2 बार पिलायें ।
- 20 ग्राम शंखपुष्पी का रस और 2 ग्राम कुटका चूर्ण शहद के साथ मिलाकर चाटें ।
- नीम की कोमल पत्तियां , अजवायन और काला नमक इन सबको पानी में पीसकर पेस्ट बनाकर सेवन करें ।
- शरीफा के पत्तों के रस की कुछ बूंदे रोगी के नाक में डालने से जल्दी होश आता है ।
- नींबू के रस में हींग मिलाकर चटाने से काफी लाभ होता है ।
- आक की जड़ का पाउडर बकरी के दूध में घोलकर रोगी को सुंघायें ।
- तुलसी के 4-5 पत्ते कुचलकर उसमें कपूर मिलाकर रोगी को सुंघाये ।
- प्याज का रस पानी में घोलकर पिलाने से भी काफी आराम मिलता है ।
- मेहंदी के पत्तों का रस दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है ।
- पौदीने के ताजा पत्ते सूघने से मूर्छा दूर होती है ।
मिरगी का आयुर्वेदिक उपचार :-
- गोरखमुडी को नींबू के रस के साथ लेने से मृगी मिटती है।
- अकरकरा 100 ग्राम , पुराना सिरका 100 ग्राम और शहद । पहले अकरकरा को सिरके में खूब घोटेंबाद में शहद मिला दें । 5 ग्राम दवा प्रतिदिन प्रातःकाल चटायें । मिरगी का रोग बाद में दूर होगा ।
- बच का चूर्ण एक ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ चटायें ऊपर से दूध पिलायें । बहुत पुरानी और घोर मिरगी भी दूर हो जाती है ।
- ढाक की जड़ को वेग के समय नाक में टपकाने से मृगी दूर होती है ।
- कायफल . नक छींकनी और कटेरी के सूखे फल छः २ मांसा और ४ तोला तम्बाकू को महीन पीस कर दो मासा नित्य सूघने से अपस्मार ( मृगी ) मिटती है ।
- बच के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से पुरानी मृगी मिटती है
- पीपल को पानी में घिस कर अंजन करने से मूळ मिटती है ।
- जिस बच्चे को मृगी का दौरा हो उसकी दोनों भौंवों के बीच में वकरी की मींगनी जला कर या मूग गरम करके दाग दे । ऐसा करने से फिर कभी मृगी नहीं आयेगी । गधे के दांये पैर की नाखून की अंगूठी पहनाना मृगी के रोगी को सैंकड़ों औषधियों से बढ़कर है ।
- आक का दूध ४० दिन तक तलवों से मले और उस पर काली मिरच बारीक पीस कर छिड़के और आक का पत्ता ऊपर से वांचे । इस अवधि में पांव विल्कुल न धोवे , तो फिर दौरा न होगा ।
- सिरस के बीज खूब बारीक पीसो और रोगी को सूंघाओ फौरन छींक आयेगी और आराम होगा ।
- घी से चतुर्थांश मुलैठी का कल्क तथा १८ गुणा कुम्हड़े का रस मिला कर सिद्ध किया गया घृत मृगी को नाश करता है ।लकवा / पक्षाघात का कारण, आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार । Home treatment of Paralysis