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खांसी होने का कारण क्या है ।
नाक में धूल अथवा धुंए के प्रवेश आदि कारणों से खाँसी उठती है । खाँसी मूली ,बेर अथवा ठंडी बस्तुओं के खाने के बाद पानी पीने से भी होता है। यह कोई स्वतन्त्र रोग न होकर , अन्य रोगों का लक्षण मात्र है , परन्तु कुछ दिनों तक स्थायी रहने पर यह अन्य अनेक रोगों को उत्पन्न कर देती है ।
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खांसी कितने प्रकार का होत है ।
खाँसी मुख्यतः दो प्रकार की होती है- ( 1 ) सूखी तथा ( 2 ) तर , अर्थात् – कफ वाली । नयी खाँसी प्रायः सूखी होती है , पुरानी हो जाने पर वह कफ वाली बन जाती है ।

कुकुर खांसी क्या है ।
खाँसी की एक किस्म कुकर – खाँसी भी है , जो प्रायः 2 से 15 वर्ष तक की आयु के बचों की होती है । इस खाँसी के साथ एक लम्बी – सी आवाज आती है तथा मुँह खुल जाता है । यह खाँसी बहुत कठिन होती है । इसमें खाँसते – खाँसते वमन भी हो जाता है तथा बहुत खाँसने पर भी कच्चे झागदार थूक के अतिरिक्त कफ नहीं निकलता ।
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खांसी में क्या परहेज करना चाहिए।
खाँसी के रोगी को तेल , खटाई , गुड़ , लालमिर्च तथा चिकनाई वाली वस्तुओं का सेवन एवं धूम्रपान नहीं करना चाहिए ।
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खांसी का घरेलू उपचार :-
- तुलसी के पत्तों से सूखी खांसी मिटती है ।
- अडूसे और तुलसी के पत्तों का रस पिलाने से भी खांसी मिटती है ।
- अदरक के रस मे शहद मिला कर चाटने से खांसी मिटती है ।
- खांसी मिटाने के लिये अदरक के छोटे २ टुकड़े कर ऊपर से नमक डाल कर भूनले और एक दो टुकड़ा मुख में रख रस चूसते रहे तो खांसी का नाश हो ।
- अनार की कलियों का दो या ढाई रत्ती चूर्ण खांसी के लिये लाभदायक है ।
- अडूसा के पत्ते और जड़ को सौंठ के साथ औटा कर पिलाने से सब प्रकार की खासी शान्त होती है ।
- अडूसा के पत्तों के स्वरस में मधु मिलाकर पिलाने से सूखी खांसी मिटती है ।
- अडूसा और काली मिरच के क्वाथ को छान ठंडा कर पीने से भी सूखी खांसी मिटती है ।
- अडूसा के पत्तों के स्वरस मे मिश्री मिला पिलाने से सूखी खांसी मिटती है ।
- सोंठ को अग्नि पर सेक उनमे गुड़ मिला छोटे बेर के समान गोलियां बना दो – तीन घन्टे के अन्तर से एक एक गोली का रस चूसने से खाँसी मिटती है ।
- दो तोला गुड़ तथा एक तोला पीपल को पीस कर गुड़ में मिला बड़े बेर के समान गोलियां बना कर खाने से मन्दाग्नि , अरुचि हृदय के रोग , कृमि , पांडु तथा कास ( खांसी ) श्वांस आदि सब रोग नाश होते हैं । यह गुड़ योग वैद्यक ग्रन्थों में बहुत ही प्रसिद्ध है ।
- सैधा नमक दो माशा को मधु के साथ पहिले दिन सोते समय चाटे फिर प्रति दिन आधा – आधा माशा बढ़ाते ६ माशा तक बढ़ा लेवे । इसके ऊपर पानी न पीवे यदि तृपा लगे तो थोड़ा गुनगुना पानी पीना चाहिये । इस नमक के प्रयोग से श्वास रोग , खांसी नाश होती है ।
- मिश्री ८ तोला , वन्सलोचन ४ तोला , पीपल २ तोला , इलायची १ तोला , दालचीनी ६ मासा इनका चूर्ण बना घृत तथा शहद युक्त तीन चार माशा रोज खाय तो कास ( खांसी ) , श्वास , क्षय, आगदाह , मन्दाग्नि , जीभ का जकडना , पसली की पीड़ा , अरुचि तथा ज्वरादि सब बिकार नाश हो जाये ।
- पुरानी खांसी को तर करने के लिये आंवला और मिश्री की फंकी देनी चाहिये ।
खांसी का आयुर्वेदिक उपचार :-
- हल्दी 1 तोला , सज्जीखार 3 माशा तथा पुराना गुड़ 1 तोला – इन सबको मिलाकर बेर के बराबर की गोलियाँ बना लें । इन गोलियों को मुँह में रखकर चूसते रहने से हर प्रकार की , विशेषकर प्रतिवर्ष जाड़े के दिनों में रहने वाली खांसी में लाभ होता है ।
- अदरक का रस , पान का रस तथा शहद – इन तीनों को समभाग मिलाकर , तीन – तीन मासे की मात्रा में दिन 3-4 बार चाटने के सामान्य खाँसी में शीघ्र लाभ होता है ।
- मुलहठी और उन्नाव के सत को समभाग लेकर मुँह में डालकर धीरे – धीरे चूसते रहने से खाँसी में लाभ होता है ।
- कालीमिर्च , पीपल तथा सोंठ – इन्हें समभाग लेकर चूर्ण बनावें । इस चूर्ण को एक – एक माशे की मात्रा में , दिन में 3-4 बार शहद मिलाकर चाटने से खाँसी में लाभ होता है ।
- 1 तोला गुड़ को 2 तोला गाय के घी के साथ मिलाकर खाने से सूखी – खाँसी में लाभ होता है ।
- कमलगट्टे की गिरी को पीसकर शहद के साथ चाटने से सूखी – खाँसी में तुरन्त लाभ होता है।
- रीठे के छिल्के को खूब महीन पीसकर पानी अथवा गुलाबजल के संयोग से मूंग के बराबर की गोलियाँ बना लें । दो गोली गुलाब के अर्क के साथ दें । इससे कुकर – खाँसी के कारण होने आले दस्त तथा वमन बन्द हो जाते हैं । जब तक दूषित द्रव्य बाहर न निकल आये , तब तक वमन और दस्त बन्द नहीं करने चाहिए ।
खांसी का यूनानी चिकित्सा :-
- तम्बाकू का गुल ( जो हुक्का पीने के बाद चिलम में बचा रहता है । ) को इकट्ठा करके इतना जलायें कि वह सफेद राख हो जाय इस राख को 1 या 2 रत्ती मात्रा मे पान में रखकर खिलाने से बलगमी – खाँसी और बलगमी – दमा में लाभ होता है ।
- हल्दी 1 माशा और सज्जी 3 माशा – इन दोनों को पीसकर तथा पानी में गूंथकर जंगली – बेर के बराबर की गोलियाँ बनाकर रख लें । 1-1 गोली सुबह – शाम खिलाने से बलगमी – खाँसी में लाभ होता है ।
- अमलतास का गूदा 5 तोला को पानी में घोलकर छान लें फिर उसमें 1 पाव चीनी मिलाकर आग पर पकायें , जब क्वाम बन जाय , तब उतार लें । दिन में 6-6 माशे की मात्रा में 3-4 बार चटाने से हर तरह की खाँसी दूर होती है तथा कब्ज भी नहीं रहता ।
- हालौन 2 तोला को पीसकर शहद 6 तोला में मिला लें । दिन में 4 बार 6-6 माशे की मात्रा में सेवन करने से बलगम निकलकर सीना साफ हो जाता है । यह बलगम खाँसी में बहुत फायदेमन्द है ।
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