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फूल – गोभी का तासीर कैसा होता है ।
प्रकृति : शीतल और तर ।
फूल – गोभी का रक्त की उल्टी में प्रयोग ।
रक्त की उलटी : फूल – गोभी की सब्जी खाने से या कच्ची हीं खाने से रक्त की उलटी होना बन्द हो जाता है । क्षय रोगी इसे लें ।
फूल – गोभी का बवासीर में उपयोग ।
बवासीर ( रक्तस्रावी ) तथा ( अरक्तस्रावी ) यह दोनों प्रकार की बवासीर को ठीक कर सकती है ।
पेशाब की जलन में फूलगोभी का उपयोग ।
पेशाब की जलन में फूलगोभी की सब्जी उपयोगी है ।
रक्तशोधक के रूप में फूलगोभी का उपयोग ।
गोभी में गन्धक बहुत मिलता है । गंधक खुजली , कुष्ट आदि चर्म रोगों में लाभदायक है । गोभी रक्त – शोधक है । अतः इसे भाप में उबाल कर खाना चाहिए ।
कोलाइटिस , कैंसर , ग्रहणी में फूलगोभी का उपयोग ।
कोलाइटिस , कैंसर , ग्रहणी व्रण ( Duodinal ulcer ) : प्रातः भूखे पेट पौन कप गोभी का रस नित्य पीते रहने से लाभ होता है ।
क़ब्ज़ में फूलगोभी का लाभ ।
क़ब्ज़ : रात को सोते समय गोभी का रस पीने से लाभ होता है ।
आंतों की सफाई में फूलगोभी का उपयोग ।
रक्तशोधक : गोभी में क्षारीय ( Alkaline ) तत्व होते हैं । गोभी में पाया जाने वाला सल्फर और क्लो रीन का मिश्रण म्युकस , मेमरिन तथा आँतों की सफाई करता है । ये सब क्षार शरीर व रक्त को साफ करते हैं ।
फूल गोभी का अन्य लाभ ।
इससे चर्म रोग , गैस , नाखून और बालों के रोग नष्ट होते हैं । कच्ची गोभी का रस ही लाभ करता है । पकाने पर लाभ नहीं करता । गोभी का रस पीते रहने से जोड़ों और हड्डियों का दर्द , अपच , आँखों की कमजोरी और पीलिया में लाभ होता है ।
गोभी गैस क्यों बनाया है ।
यह पानी में उबालने से गैस उत्पन्न करता है ।
गोभी गैस नहीं बनाए उसका उपाय ।
इसका रस पीने से गैस बनती है । इससे बचने के लिए गोभी के रस में समान मात्रा में गाजर का रस मिला कर पिलायें । एनिमा लगायें । फिर गैस नहीं बनेगी ।
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