Synonyms – Calf scour , White diarrhoea , Colibacillosis
नवजात पशुओं में पाया जाने वाला यह एक प्रमुख रोग है जो Ecoli नामक बैक्टीरिया के कारण होता है । इसमें पशु कमजोर हो निढाल सा बैठ जाता है तथा तेज पतले , उजले – पीले दस्त व सेप्टिसीमिया होता है । जिससे अधिकतर बछड़ों की मौत हो जाती है । यह गाय , भैंस , घोड़ी व सुअर के नवजात पशुओं में अधिक पाया जाता है । प्रायः 1 से 15 दिन की उम्र के बछड़ों में अधिक होता है । लेकिन गाय के बछड़ों में यह जन्म के बाद कुछ सप्ताह में हो सकता है ।
और पढ़ें – पशुओं को होने वाले दस्त ( DIARRHOEA ) का होम्योपैथीक दवा

Table of Contents
बछड़ों का उजला – पीला दस्त का कारण क्या है । ETIOLOGY OF CALF SCOUR
ETIOLOGY – Bacteria – Eschericia coli ( E. coli )
- ये बैक्टीरिया वातावरण में हर जगह पाये जाते हैं जो सेप्टिसीमिया व दस्त के लिए जिम्मेवार होते हैं ।
- नवजात पशु को जन्म के बाद 24 घंटों में कोलोस्ट्रम नहीं मिलना , विटामिन – ए की कमी , शारीरिक कमजोरी , गंदगी के साथ रखरखाव , खुराक में लापरवाही , तेज ठंड , भीड़ जैसे कारणों से भी white scour होता है । प्रायः 1 से 15 दिन की उम्र वाले नवजात पशु इससे ग्रसित होते हैं ।
बछड़ों का उजला – पीला दस्त रोग का जनन कैसे होता है। PATHOGENESIS OF CALF SCOUR
रोगी पशु के गोबर से दूषित आहार व पानी के स्वस्थ पशु द्वारा उपयोग से यह रोग फैलता है । इसके अलावा गर्भपात हुए भ्रूण , वेजाइनल डिस्चार्ज , नेवल इन्फेक्शन से भी नवजात पशु में इन्फेक्शन हो सकता है । E – coli बैक्टीरिया आहारनाल में पहुंचकर लीन प्रकार के टॉक्सिन पैदा करते हैं :-
1st toxin – It cause hypotension and enteric calf scour .
2nd toxin – It damages muscular endothelium leading to transudation causing septicaemic calf scour .
3rd toxin – It damages GIT form enteric type of calf scour .
इसे देखें – पशुओं को निगलने ने कठिनाई यानी इसोफेजाइटिस ( OESOPHAGITIS ) के कारण लक्षण तथा उपचार
बछड़ों का उजला – पीला दस्त का लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF CALF SCOUR
बछड़ों में ( CALVES ) – लक्षणों के आधार पर तीन प्रकार का Calf scour होता है ।
- Enteric toxaemic calf scour .
- Septicaemic calf scour .
- Enteric calf scour .
1. Enteric toxaemic calf scour
- निढाल सा कॉमा अवस्था में , ठंडा शरीर , heart rate , temp .
- सफेद – पीली म्युकस मेम्ब्रेन , जुगलर वेन दबी हुई ।
- Diarrhoea and scouring , 2-6 घंटे में बछड़े की मौत ।
2. Septicaemic calf scour
- प्रायः जन्म के बाद चार दिनों में ऐसे लक्षण अधिक
- दूध पीना बिल्कुल बंद , काफी सुस्त , Theart rate कम, temp कभी बढ़ा कभी कम ।
- Sequelae – Arthritis , lameness , pain and swelling in joints .
- कंपकंपाहट ( convulsion ) , आंख का घूम जाना ( nystagmus ) .
3. Enteric calf scour
- यह दस्त बछड़ों में अधिक होता है जो जन्म के पहले तीन सप्ताह में होता है ।
- पतले चिकने ( pasty ) तथा सफेद – पीले रंग के दस्त ।
- बार – बार दस्त से बछड़े की पूंछ व पिछले पैर गोबर से सने रहते हैं ।
- टेम्प्रेचर ( 105-106 ° F ) बढ़ा, पल्स रेट बढ़ा हुआ।
- बछड़ा वर्तन में रखा दूध या गाय का दूध नहीं पीता है – डिहाइड्रेशन ।
- बार – बार दस्त से पेट दर्द , कमर मुड़ जाती है ( arched back )
- यदि समय पर इलाज न हो तो 3-5 दिन में बछड़े की मौत ।
बछड़ों का उजला – पीला दस्त का डायग्नोसिस कैसे करें । DIAGNOSIS OF CALF SCOUR
- लक्षण व गोबर की जांच के आधार पर ।
- Differential diagnosis – दस्त कई रोगों का लक्षण है ।
– थैलेरियोसिस – ब्लड के थक्के मिला हुआ पीला गोबर , लिम्फ नोड्स में ।
– कॉक्सिडियोसिस – यह अधिक उम्र ( 4 माह से 2 वर्ष ) के बछड़ों में होता है ।
– बछड़ों का दस्त यह जन्म के बाद कुछ ही दिन ( 5 से 20 दिन ) के अंदर ।
इसे भी देखें – पशुओं में चोक (CHOKE) के कारण, लक्षण एवं उपचार
बछड़ों का उजला – पीला दस्त का उपचार क्या है । TREATMENT OF CALF SCOUR
- बछड़े को एक दिन तक किसी भी तरह का दूसरा आहार नहीं दें । यदि वह मां का दूध थनों से पीएं तो पीने दें ।
- Antibiotics – E.coli बैक्टीरिया काफी रेजिस्टेन्ट होते हैं इसलिए गोबर की जांच कराने के बाद ही उचित एंटीबायोटिक देवें ।
– Streptomycin – 20 mg / kg b . wt . I / M , I/V या Oral
– Chloramphenicol – 25 mg / kg b.wt. daily for 5-6 days .
– Tetracycline – 25-50 mg / kg b.wt. I / M , I/ V, Oral , daily for 5-6 days .
– Nitrofurazone , Furazolidone – 2 mg daily into two divided doses for 3-5 days .
- Supportive treatment – Fluid therapy – ( Ringer’s lactate ) . Dose – 25 ml./kg b.wt.
- Intestinal astringent .
बछड़ों का उजला – पीला दस्त का रोक थाम क्या है । CONTROL OF CALF SCOUR
- गाय , भैंस के ब्याने के स्थान पर पूरी सफाई रखें ।
- अधिक संख्या में बछड़ों को एक साथ भीड़ में न रखें ।
- चूंकि नवजात बछड़ों द्वारा कोलोस्ट्रम पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता ( immunity ) बढ़ जाती है इसलिए ध्यान रखें कि लगभग 50 ml / kg b.wt. के हिसाब से जन्म के बाद बछड़ा पांच दिन तक कोलोस्ट्रम जरुर पीएं ।
- रोगी बछड़े के गोबर से आसपास का चारा – पानी दूषित होने से बचाएं ।
- गाय , भैंस के ब्याने के लगभग 15 दिन पहले विटामिन ए का इंजेक्शन लगवाएं ।
- ब्याने से पहले व बाद में पौष्टिक खुराक दें ।
- जन्म के बाद पहले दिन से ही तीन दिन तक बिना कोई रोग के टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक दी जा सकती है ।
इसे पढ़ें – बछड़ों का न्युमोनिया का कारण एवं उपचार । SYMPTOMS & TREATMENT OF CALF PNEUMONIA
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