बोटुलिज्म का उपचार । TREATMENT OF BOTULISM

अन्य नाम – Limber neck , Lion disease

यह एक जानलेवा पक्षाघात ( toxaemic paralytic ) रोग है जो क्लॉस्ट्रिडियम बाँचुलिनम नामक बैक्टीरिया के टॉक्सिन का पशु द्वारा अनजाने में आहार के साथ खा जाने से होता है । यह उन पशुओं में अधिक होता है जिन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिलता है , पाइका से ग्रस्त रहते हैं तथा इधर – उधर अखाद्य चीजें खाते रहते हैं ।

यह रोग मुख्य रूप से गायो , भेड़ों व बकरियों में पाया जाता है क्योंकि घर से बाहर इधर – उधर चरने , कुड़ा करकट , फल सब्जियों के छिलके , म त पशुओं के भाग आदि खाने से ग्रसित हो जाते हैं । देसी ढंग से पाली जाने वाली उन मुर्गियों में यह सर्वाधिक पाया जाता है जो इधर – उधर घूमकर कचरे , गोबर , मिट्टी आदि से अपना आहार ढूंढ कर खाती हैं ।

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बोटुलिज्म का कारण क्या है । ETIOLOGY OF BOTULISM

ETIOLOGY – Bacteria – Clostridium botulinum

ये बैक्टीरिया पशु के शरीर में वृद्धि नहीं करते हैं बल्कि मृत पशु के शरीर पर तथा सड़ रही फल – सब्जियों पर सुरक्षा कवच ( स्पोर ) बनाकर रहते हैं जहां ये लम्बे समय तक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जिंदा रहते हैं । ऐसी चीजों को खाने से पशुओं में भी इन्फेक्शन हो जाता है । पशु की आत में पहुंचकर स्पोर सामान्य अवस्था में भी वर्षों तक रह सकते हैं ।

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बोटुलिज्म रोग का जन्म कैसे होता है । PATHOGENESIS OF BOTULISM

मृत पशु के शरीर पर सड़ी हुई हड्डी , मांस तथा सड़ी – गली फल – सब्जियों में क्लोस्ट्रिडियम बैक्टीरिया टॉक्सिन पैदा करते हैं । इन चीजों को खाने से टॉक्सिन भी स्वस्थ पशु के शरीर में चला जाता है इस टॉक्सिन की थोड़ी सी मात्रा भी काफी तेज होती है ।

एक अनुमान के मुताबिक एक ग्राम सूखे मांस के टुकड़े में , जिसमें क्लोस्ट्रिडियम के बैक्टीरिया मौजूद हैं , इतना टॉक्सिन मौजूद रहता है जो एक बड़ी गाय को मार सकें । सामान्य अवस्था में भी गाय की आंत में ये बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं । ऐसे पशुओं के गोबर व मूत्र से दूषित पानी , चारे के उपयोग से भी कभी – कभी बोटुलिज्म ( botulism ) का प्रकोप हो सकता है ।

Cl . botulinum → Neurotoxin → functional paralysis → No histological lesions → leads to flaccid paralysis → death due to respiratory paralysis .

बोटुलिज्म का लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF BOTULISM

  • रोग के लक्षण कैसे व कब प्रकट होंगे , यह इस बात पर निर्भर करता है कि पशु के शरीर में कितनी मात्रा में टॉक्सिन अंदर गया है । कई मामलों में तो बिना कोई लक्षण प्रकट किए ही पशु की मौत हो जाती है । सामान्य तौर पर 2 से 6 दिन में लक्षण प्रकट होते हैं ।
  • बोटुलिज्म में बुखार में नहीं होता है ( No fever )
  • जबड़े व गले की मांसपेशियों के पैरालाइसिस ( paralysis ) के कारण मुंह से बहुत अधिक लार गिरती है । पशु चारा – दाना न चबा पाता है , न ही निगल पाता है । जीभ भी बाहर लटकी रहती है ।
  • पैर की मांसपेशियों का पैरालाइसिस हो जाता है जिससे पशु चल भी नहीं पाता है । पशु पैर समेट कर बैठा रहता है ।
  • रोग की गंभीरता में सिर पर भी नियंत्रण कम हो जाता है तथा सिर को पेट के एक तरफ रखकर बैठता है । सांस भी धीमा हो जाता है ।
  • अंत में रेस्पिरेटरी पैरालाइसिस से पशु की मौत हो जाती है । प्रायः इस रोग में पशु बच नहीं पाता है । बहुत ही कम बार लगभग तीन सप्ताह तक बीमार रहने के बाद पशु बच भी सकता है ।

बोटुलिज्म का डायग्नोसिस कैसे करें । DIAGNOSIS OF BOTULISM

  • हिस्ट्री के आधार पर ( pica habbit )
  • लक्षणों के आधार पर तथा सिरम में टॉक्सिन की जांच द्वारा ।
  • पशु द्वारा खाए गये पदार्थ को अन्य स्वस्थ lab . animals को खिला कर ।

बोटुलिज्म का उपचार । TREATMENT OF BOTULISM

  • बोटुलिज्म का कोई भी सफल इलाज नहीं है लेकिन यदि बोटुलिनम एंटीटॉक्सिन उपलब्ध हो , तो कोशिश की जा सकती है ।
  • CNS Stimulant or Nervine tonic भी दिए जा सकते हैं ।
  • Respiratory Stimulants
  • Mag.Sulph . 250gm + Sod . Sulph – आधा लिटर पानी में घोल बनाकर पिलाएं ।

बोटुलिज्म का का रोक थाम क्या है । CONTROL OF BOTULISM

  • पाइका – पशुओं को मिनरल मिक्सर दें । ( फॉस्फोरस , आइरन आदि )
  • पशुओं को मृत पशुओं के शरीर से दूषित चारा , दाना नहीं खिलाएं ।
  • भेड़ों में प्रोटीन की कमी के कारण भी होता है इसलिए प्रोटीनयुक्त खुराक दें ।

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