अन्य नाम :- Black leg , Quarter leg , जहरबाद , काला बुखार ।
यह मुख्यतह गाय – भैंसों में पाया जाने वाला बैक्टीरियल रोग है जिसमें पशु के कंधे या पुढे की मांसपेशियों में गैस भरी सूजन होती है , तेज बुखार तथा सेप्टिसीमिया से पशु की मौत हो जाती है । यह रोग गोवंश के पशुओं में अधिक होता है लेकिन यह संक्रामक यानी छूत का रोग नहीं है । भारत के कर्नाटक , आंध्रप्रदेश , तमिलनाडू तथा राजस्थान में गायों व बैलों में यह रोग अधिक होता है । गर्म व नम जलवायु वाले राज्यों में यह जल्दी फैलता है । देश के लगभग 80 % मामले तो बम्बई , हैदराबाद , मैसूर तथा मद्रास व बाकी 20 % रोग के मामले देश के अन्य भागों में पाये जाते हैं । वर्षा ऋतु में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है तथा इसमें मृत्यु दर बहुत अधिक होती है ।
लंगड़ा बुखार का लक्षण क्या है ।SYMPTOMS OF BLACK QUARTER :-
- तेज बुखार ( 106 ° – 108 ° फा . ) लेकिन कभी – कभी बुखार नहीं भी ।
- कंधे , पुढे या गर्दन की मांसपेशियों में सूजन से पशु लंगड़ाकर चलता है । एक पैर में स्पष्ट लंगड़ापन होता है ।
- शुरुआत में यह सूजन ( necrotizing myositis ) गर्म व पीड़ादायक होती है लेकिन बाद में ठंडी व पीडारहित हो जाती है ।
- सूजन के अंदर गैस भरी होने से बाहर से इस स्थान को दबाने से चरचराहट की आवाज आती है । ( cropitation sound )
- सूजन वाली जगह की त्वचा सूख कर सख्त हो जाती है । इस जगह की त्वचा के रंग में भी बदलाव आ जाता है ।
- यदि सूजन की जगह पर चीरा लगाया जाए तो काले रंग का झागदार ब्लड निकलता है ।
- पशु द्वारा खाना , पानी बिल्कुल बंद , जुगाली भी नहीं , सुस्त ।
- अंत में एकाएक टेम्प्रेचर गिरता है तथा पशु की 1-2 दिन में ही मौत हो जाती है । कई पशु तो बिना लक्षण प्रकट किए ही मर जाते हैं ।
लंगड़ा बुखार का एलोपैथिक दवा । TREATMENT OF BLACK QUARTER:-
रोग की शुरुआत में ही इलाज का थोड़ा असर होता है , वरना दवाईयों का कोई लाभ नहीं है ।
- । Inj . Penicillin ( high dose ) 20-40 lac IU I / M – Crystalline Penicillin IN दे सकते हैं ।
- Long acting Peniciilin – Inj . Longacillin 48 lac , IUI / M .
- or Inj . Textracycline I / V .
- Inj . Dexamethasone , I / V , I / M
- Inj . Antiinflammatory , Analgesic I / M .
लंगड़ा बुखार का होम्योपैथिक दवा । Treatment Of Black Quarter :-
- हिपर सल्फ 1000 ( Hepar Sulbph 1M ) :- जब रोगी पशु को बुखार हो , रोग ग्रस्त भाग पर अधिक सूजन हो , हाथ लगाने से तेज दर्द हो तो हर आधा घंटे बाद दस बार दें ।
- रस टॉक्स 1000 ( Rhus Tox 1M ) :- खासतौर से बारिश के दिनों में जब रोग हो , रोग ग्रस्त भाग की सूजन को दबाने से कागज जैसी आवाज हो तो रस टॉक्स दिन में दो बार तीन दिन तक दें ।
- गलघोंटू (HEAMORRHAGIC SEPTICAEMIA) ऐलोपैथ तथा होम्योपैथिक उपचार जानवरों के घाव ( WOUNDS ) का होम्योपैथिक दवा