पशुओं के गले में सूजन का उपचार । TREATMENT OF PHARINGITIS

ग्रसनी ( गला) भोजन और वायु के लिए एक सामान्य मार्ग है। गला में लालिमा, जलन या संक्रमण की स्थिति को फेरिंजाइटिस ( PHARINGITIS ) या गले में सूजन कहते हैं । यह घोड़ों और कुत्तों में आम है। इसे देखें – पशुओं के खुर पकने का कारण, लक्षण तथा उपचार । TREATMENT OF FOOT…

पशुओं के खुर पकने का कारण, लक्षण तथा उपचार । TREATMENT OF FOOT ROT

अन्य नाम – Foul in the foot , Infections pododermatitis , खुर पकना । यह पशुओं के खुरों का संक्रामक ( Infectious ) रोग है जिसमें खुरों के बीच सूजन , घाव बन जाना ( ulcers ) तथा कुछ भाग मर जाता है ( necrosis ) ये लक्षण खुर के थोड़ा ऊपर वाले कोरोनरी भाग…

पशुओं के एस्केरिओसिस (कृमि) का कारण, लक्षण तथा उपचार । TREATMENT OF ASCARIOSIS

Synonym- Round worm disease एस्केरिओसिस भी छोटे व बड़े पशुओं का एक प्रमुख परजीवी रोग है । लंबे व गोल एस्कोरिस संख्या में भारी व द्धि कर आंत व बाइल डक्ट को पूरी तरह बंद कर देते हैं जिससे कभी कभी छोटी आंत फट भी जाती है । इस रोग से पशु कमजोर हो जाते…

पालतु पशुओं के युरेथ्रा , ब्लेडर और किडनी में सूजन का कारण एवम् उपचार । TREATMENT OF BOVINE PYELONEPHRITIS

यह संक्रामक रोग है जिसमें युरेथ्रा , ब्लेडर और किडनी में सूजन हो जाती है । यह मुख्य रुप से गायों में पाया जाता है । बीकानेर क्षेत्र में यह नर ऊंटों में भी पाया जाता है । इसे पढ़ें – पालतू पशुओं में जूओं , किलनी का उपचार । TREATMENT OF LOUSE INFESTATION बोवाइन…

पालतू पशुओं में जूओं , किलनी का उपचार । TREATMENT OF LOUSE INFESTATION

Synonyms – Pediculosis , Lousiness पशुओं की त्वचा पर अन्य बड़े परजीवियों के अलावा छोटी बड़ी जुएं ( lice ) भी बहुत पायी जाती है । ये पशुओं का खून व लिम्फ चूसती हैं । ये जुंए त्वचा को खराब करती है , एनीमिया भी पैदा कर सकती है , साथ ही खुजली से पशु…

पशुओं के शरीर पर पाये जाने वाले चीचड़े का उपचार । TREATMENT OF TICKS INFESTATION

छोटे बड़े पशुओं के शरीर पर पाये जाने वाले बाहरी परजीवियों ( ectoparasites ) में चीचड़े ( ticks ) ही सबसे अधिक नुकसानकारी होते है । शरीर की कई जगहों पर गोल , अंडाकार , चपटे कई तरह के टिक्स चिपके रहते हैं । वैसे तो कई तरह के पैरासाइट्स होते हैं लेकिन मोटे तौर…

फंगल मेस्टाइटिस का लक्षण तथा उपचार । TREATMENT OF FUNGAL MASTITIS

हालांकि मेस्टाइटिस मुख्य रूप से बैक्टीरिया से होती है लेकिन भारत में गायों व भैंसों में फंगस के द्वारा भी मेस्टाइटिस कभी – कभी होती है । भारत में लगभग हर राज्य के गाय , भैंस व बकरियों में यह बीमारी होती है । प्रायः यह देखा गया है कि इन पशुओं में जब फंगल…

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी ”पैराप्लेजिया” का उपचार । TREATMENT OF SPINAL CORD INJURY

प्रायः पशुओं के सिर पर मनुष्य द्वारा लकड़ी से मारने , पशु के फिसलने , गिरने , पशु शरीर पर कोई भारी चीज गिर जाने से स्पाइनल चोट होती है । इससे आंशिक या पूरी तरह से पैरालाइसिस हो जाता है । और पढ़ें – पशुओं के शरीर के जोड़ो में सूजन के साथ दर्द…

बोटुलिज्म का उपचार । TREATMENT OF BOTULISM

अन्य नाम – Limber neck , Lion disease यह एक जानलेवा पक्षाघात ( toxaemic paralytic ) रोग है जो क्लॉस्ट्रिडियम बाँचुलिनम नामक बैक्टीरिया के टॉक्सिन का पशु द्वारा अनजाने में आहार के साथ खा जाने से होता है । यह उन पशुओं में अधिक होता है जिन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिलता है , पाइका से…

TREATMENT OF CONTAGIOUS BOVINE PLEUROPNEUMONIA ( C.B.P.P. )

Synonyms- CBPP , Lung plague , Lung sickness . सी.बी.पी.पी. गायों में पाया जाने वाला एक अत्यधिक संक्रामक रोग है , जिसमें फेफड़े व फेफडे को घेरे रहने वाली झिल्ली प्लुरा प्रभावित होती है यह आस्ट्रेलिया , युरोप , अफ्रिका व न्युजीलैण्ड में अधिक पाया जाता है । भारत में यह रोग पूर्वी राज्य असम…