
- दिन की । शुरूआत में सबसे पहले बिना कुल्ला – बिना मुँह धोये , बासी मुँह से दो से तीन गिलास गुनगुने पानी में एक चुटकी सेंधा नमक डालकर पीना चाहिये ।
- नित्यकर्म से निवृत्त होकर सुबह आत्मशुद्धि के लिये योग व प्राणायाम करना चाहिये ।
- सुबह उठने के एक घंटे बाद शुरूआत फलों के रस से हो तो अच्छा हैं । :
- सुबह का भोजन 7 से 9 बजे तक करना चाहिए । भोजन में पौष्टिक आहार जैसे फल , रोटी , चावल , सब्जी , दाल , गुड़ आदि होना चाहिए । जठराग्नि सुबह 7 से 9.00 बजे तक सूर्योदय से 2 घंटे तक सबसे अधिक तीव्र होती है ।
- दोपहर का भोजन 1 से 2 बजे तक करना चाहिये और शाम का भोजन 5 से 6 बजे तक करना चाहिये ।
- सुबह भरपूर भोजन करना चाहिये , दोपहर का भोजन सुबह से आधा होना चाहिये और शाम का भोजन दोपहर से आधा होना चाहिये । भोजन हमेशा जमीन पर बैठकर करें ।
- सूर्यास्त के 40 मिनट पहले भोजन करें और रात्रि में भारतीय देसी गाय का दूध लेना लाभदायक हैं ।
- भोजन के अंत में पानी पीना विष के समान है , भोजन करने के कम से कम 48 मिनट पहले पानी पियें और भोजन के एक घंटे बाद पानी पीना चाहिये । भोजन के अंत में एक – दो चूँट पानी गला साफ करने के लिये पी सकते हैं । पानी जब भी पियें यूंट – घूट करके , बैठकर पीयें ।
- भोजन के बाद 10 मिनट वजरासन में बैठना लाभदायक है ।
- सुबह और दोपहर के भोजन के बाद 20 मिनट बायी करवट लेटना चाहिये । ( विष्णु मुद्रा में )
- शाम के भोजन के बाद कभी सोना नहीं करना चाहिये । सांय के भोजन के बाद 500 कदम से 1000 कदम चलें ।
- रात का भोजन सोने से कम से कम 2-2.30 घण्टे पहले कर लें ।
- हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सोएं ।
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