श्राद्ध (Shradh) किसे कहते है । श्राद्ध के महत्व ।

श्राद्ध किसे कहते है ?

मृत पितरों के उद्देश्य से जो अपने प्रिय भोज्य पदार्थ ब्राह्मण को श्राद्धपूर्वक प्रदान किये जाते हैं . इस अनुष्ठान को ‘ श्राद्ध ‘ कहते हैं ।

श्राद्ध में किया गया भोजन मृत प्राणी को कैसे प्राप्त होता हैं ?

लोगों का ऐसा विश्वास है कि श्राद्ध में जो भोजन खिलाया जाता हैं , वह पदार्थ ज्यों का त्यों , उसी तौल अनुपात में मृत पितर को प्राप्त होता है । वास्तव में ऐसा नहीं है । श्राद्ध में दिये गये भोजन का सूक्ष्म अंश परिणत होकर उसी अनुपात में प्राणी को प्राप्त होती हैं ।

श्राद्ध अश्विन मास में ही क्यों ?

अश्विन मास में पितृ – पक्ष हमारे सामाजिक उत्सवों में पितरों का सामूहिक महापर्व है । इस समय सभी पितर अपने पृथ्वी लोक वासी सगे – सम्बन्धियों के घर बिना बुलाये आते हैं और ‘ काव्य ‘ ग्रहण करके परितृप्त होते हैं तथा अपना आशीर्वाद उन्हें प्रदान करते हैं ।

मृत्यु के पश्चात् श्राद्ध आदि क्रियाओं को पुत्र ही क्यों करें ?

पिता के वीर्य अंश उत्पन्न पुत्र पिता के समान ही व्यवहार वाला होता है । हिन्दू धर्म में पुत्र का अर्थ हैं – ‘ पु ‘ नाम नर्क से ‘ त्र ‘ त्राण करना अर्थात् पिता को नरक से निकालकर उत्तम स्थान प्रदान करना ही पुत्र ‘ का कर्म है । यही कारण है कि पिता की समस्त औवं दैहिक क्रिया पुत्र ही करता है । एक ही मार्ग से दो वस्तुएं उत्पन्न होती हैं । एक ‘ पुत्र ‘ तथा दूसरा ‘ मूत्र ‘ यदि पिता के मरणोपरान्त उसका पुत्र सारे अन्तेष्टि संस्कार नहीं करता तो वह भी ‘ मूत्र ‘ के समान होता है ।

क्या श्राद्ध करते समय मृत पितर दिखायी देते हैं ?

रामायण कथा के अनुसार जब पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी अपने पिता का श्राद्ध कर रहे थे तब सीता जी ने श्राद्ध की समस्त सामग्री अपने हाथ से तैयार की परंतु जब निमंत्रित ब्राह्मण भोजन करने लगे तब सीता जी दौड़कर कुटी में जा छिपी । बाद में श्री राम जी ने सीता की घबराहट और छिपने का कारण पूछा तब वे कहने लगीं – स्वामी ।

मैंने ब्राह्मणों के शरीर में आपके पिताश्री के दर्शन किये । अब आप ही बताइये जिन्होंने पहले मुझे समस्त आभूषणों से विभूषित अवस्था में देख था , वे मेरे पूज्य श्वसुर जी मुझे इस तरह पसीने और मैल से सनी हुई कैसे देख पाते ? ऐसा ही प्रसंग महाभारत में भी मिलता हैं , जब भीष्म जी अपने पिता शान्तुन जी का पिण्डदान करने लगे । उसके समाने साक्षात् शान्तनु जी के दहिने हाथ ने उपस्थित होकर पिण्ड ग्रहण किया ।

अन्त्येष्टि संस्कार किसे कहते हैं ? या अन्त्येष्टि संस्कार क्यों करते हैं ?

किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाये । मृत्योपरान्त जो मृतक के आत्मा की शान्ति के लिए क्रिया कर्म किये जाते हैं , उन्हें अन्त्येष्टि संस्कार कहते हैं । मृतक के मोक्ष एवम् परलोक सुधार हेतु ये संस्कार किये जाते हैं ।

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