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श्वास रोग क्या है ।
श्वसन संस्थान हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है । हमारे साँस लेने से लेकर और साँस निकालने तक की प्रक्रिया में ढेर सारे अंगो का उपयोग होता है । नाक , गला , हृदय , फेफड़े , पसलियां , डायफ्राम , आदि अंगो का उपयोग होता है । यदि हमें पर्याप्त मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन ना मिले तो इन सभी अंगों में बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं । अत्यधिक शराब पीने , चिंता करने , तम्बाकु , गुटखा खाने , दुषित और विषैले भोज्य पदार्थ खाने से तथा अत्यधिक धुम्रपान करने से यह अंग खराब होते हैं । इनके अंतर्गत खाँसी , दमा , सर्दी , जुकाम , टॉन्सिल्स , श्वास रोग आदि सब होते हैं ।
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श्वास रोग का कारण क्या है ।
श्वास रोग भी प्राय खांसी तथा हिचकी रोग की भॉति ही पैदा होता है । जब खांसी पुरानी हो जाती है और कफ खुश्क हो जाता है तो श्वांस रोग प्रगट हो जाता है।
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श्वास रोग का लक्षण :-
श्वांस रोग के पैदा होने से पहिले हृदय मे पीडा , शूल , अफरा , मल मूत्रऽवरोध मुखनीरस ( फीका ) और कनपटियों में पीड़ा हो जाती है ।
- अदरक के टुकड़ों को नमक लगाकर चूसते रहने से खाँसी में आराम मिलता है ।
- अदरक और पान के पत्तों का रस निकालकर शहद में मिलाकर चाटने से खाँसी में आराम मिलता है ।
- छोटी पिपली को घिसकर उसमें शहद मिलाकर चाटने से भी आराम मिलता है ।
- गिलोय के सत को शहद में मिलाकर चाटने से आराम मिलता है ।
- अजवायन का चूर्ण हल्के गर्म पानी के साथ लेने से खाँसी दूर होती है ।
- काली खांसी में दो रत्ती शोधित हींगचाटने पर आराम मिलता है ।
- लौंग को पीसकर आग पर भून लें तथा शहद में मिलाकर चाटे ।
- फिटकरी का पाउडर बनाकर उसे भून लें और मिश्री मिलाकर दिन में दो बार खायें ।
- पीपल के नर्म पत्ते + मुलहठी + मिश्री बराबर मात्रा में ( 20-20 ग्राम ) मिलाकर पाउडर बना लें तथा आधा – आधा चम्मच दिन में 2-3 बार लें ।
- शहद में थोड़ा मेहंदी के पत्तों का रस मिलाकर चाटने से खाँसी में लाभ होता है ।
- 20 ग्राम मैथी के दानों को 1 गिलास पानी में उबालें । 1/4 भाग पानी रह जाने पर दो तीन चम्मच शहद मिलाकर पीयें ।
- 7-8 कालीमिर्च का पाउडर 2 चम्मच शहद में मिलाकर दिन में 3-4 बार चाटें ।
- 3-4 लौंग तवे पर भुनें और पीसकर शहद में मिलाकर चाटें ।
- काली मिर्च – लाल इलायची + अजवायन – तीनों को बराबर मात्रा में ( 10-10 ग्राम ) मिलाकर चूर्ण बनायें और शहद के साथ सुबह दोपहर – शाम सेवन करें ।
- थोड़ी सी हल्दी और 1 चुटकी नमक सादे पानी में मिलाकर पीएं ।
- एक चम्मच देशी गाय का घी और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर खाने से खाँसी चली जाती है ।
- अडूकसा और तुलसी के पत्तों का रस समान मात्रा में लेकर शहद के साथ चाटें ।
- बबूल की छाल का काढ़ा पीने से खाँसी में लाभ मिलता है ।
- मुलहठी + सौंठ + अदरक का रस समान मात्रा ( 1-1 चम्मच ) में लेकर शहद के साथ सेवन करें ।
- दो बादाम पानी में फुलाकर छिलके उतारकर पानी में घीसे फिर शहद मिलाकर सेवन करें ।
श्वास रोग का आयुर्वेदिक उपचार :-
- श्वास रोग को मिटाने के पहले दिन सेंधा नमक पीस कर शहद के साथ चाटे ऐसे नित्य प्रति श्राधा २ माशा बढ़ाते हुए छ.माशा तक लेवे परन्तु इसके ऊपर पानी न पीवे यदि प्याम अधिक लगे तो कुछ गुनगुना पानी पीना चाहिये ।
- श्वास रोग वालो को लहसुन का रम गरम कर पिलाना चाहिये ।
- खाशी तथा श्वांस पर चिरायते का क्वाथ पिलाना चाहिये ।
- मुलेठी का क्याथ पिलाने से श्वास नालिका साफ होती है ।
- अदरक की चासनी में तेजपात और पीपल का चूर्ण मिला कर चाटने से श्वांस और श्वांस की नालिका रोग मिटता है ।
- श्वांस रोगी तम्बाकू पीना तथा खाना छोड़ दे ।
- गज पीपली के चूर्ण को पान मे धर कर खाने से श्वांस रोग मिटता है ।
- दो माशा माल कॉगनी और इलायची निगलने से कफ कांश मिटता है ।
- श्वांस रोग मिटाने के लिये १ तोला सुहागा को ४ तोला मधु में मिला कर उसमें से सोते समय तीन अंगुली भर कर चाटना चाहिये ।
- श्वांस की नली के कफ को मिटाने के लिये सेके हुये चने रात को सोते समय खाकर ऊपर से गरम दूध पीना चाहिये ।
- तीन या चार महीना लगातार दिन में दो वार इसबगोल १ तोला रोज खाय तो हर प्रकार का श्वांस रोग नाश होवे ।
- तीव्र श्वांस रोग में २ रत्ती कपूर और २ रत्ती हींग मिला गोली बनाकर श्वांस के वेग समय दूसरे तीसरे घन्टा देना चाहिए और साथ ही रोगी की छाती पर तारपीन के तेल की मालिश कर सेक करने से कठिन श्वांस रोग मिटता है ।
- गिलोय का रस ६ मासा , इलायची दो मासा , वंसलोचन १ मासा तीनों को वारीक पीस मधु के साथ चाटने से श्वांस रोग नाश होता है ।
- धतूरे के सूखे पत्तों को चिलम में रख धूम पान करने से ऐसा तेज श्वांस रोग मिटता है कि जिसमें वांइटे आते हों ।
- शहद तथा मिश्री के साथ काली मिरच चूर्ण दो तीन मासा खाय तो निसन्देह श्वांस रोग मिटता है ।
- मिश्री ८ तोला , बंसलोचन ४ तोला , पीपल २ तोला , छोटी इलायची १ तोला , दालचीनी आधा तोलो । इन का चूर्ण कर तीन या चार मासा घृत तथा शहद के साथ चाटे तो कास , ( खांसी ) और श्वांस रोग दूर होगे । यह योग वैद्यक ग्रन्थों मे सितोपलादि चटनी के नाम से प्रसिद्ध है ।
- गुट तथा कड़वा तेल मिला कर चाटने से २१ दिन मे श्वांस निर्मूल हो जाता है । दोनों का समान भाग लेकर ४ तोला तक चाट मकने हो ।