
लकवा / पक्षाघात (Paralysis) का कारण क्या है ?
लकवा / पक्षाघात होने पर रोगी का आधा शरीर संवेदनहीन हो जाता है । पेट में अधिक गैस बनने , मस्तिष्क पर वायु का दबाव पड़ने और हृदय पर वायु का दबाव बढ़ने से शरीर पर वायु का झटका लगता है । इसी के परिणाम स्वरूप व्यक्ति लकवे का शिकार हो जाता हैं । स्नायु शिथिल हो जाते हैं । शरीर का आधा भाग टेढा हो जाता है । उस भाग में सुन्नता रहती है तथा छुने पर कोई संवेदना नहीं होती । दिमाग भी काम करना कम कर देता है । लकवा / पक्षाघात का 10 अचुक देसी ईलाज इन 2021
लकवा / पक्षाघात (Paralysis) का घरेलू उपचार:-
- राई और अकरकरा को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनायें । तथा उसे शहद में मिला कर पेस्ट बनायें और दिन में 3 बार जीभ पर मले लकवे की शिकायत दूर होगी ।
- 250 मी . ली . लीटर गाय के दूध में 8-10 लहसुन की कलियाँ डालकर उबालें । गाढ़ा होने पर रोगी को पिलायें । बीमारी में आराम मिलेगा ।
- सौंठ और उड़द बालकर उसका पानी पीने से लकवे में काफी लाभ होता है ।
- एक चम्मच कपास की जड़ का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है ।
- लहसुन की 5-6 कच्ची कलियों को पीसकर शहद में मिलाकर चाटें ।
- उड़द + कौंच के बीज + एरंड की जड + बला + हींग + सेंधा नमक और थोड़ा शहद – सभी बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनायें और रोगी को पिलायें । बीमारी में आराम मिलेगा ।
- 250 ग्राम सरसों के तेल में थोड़ी काली मिर्च पीसकर डालें और मालिश करें ।
- सन के बीजों का चूर्ण शहद में मिलाकर रोगी को चटायें लाभ मिलेगा ।
- कुचले के पत्तों , सांभर का सींग तथा सौंठ – तीनों बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीयें और लकवे वाले स्थान पर लगायें ।
- तुलसी के 8-10 पत्ते , सेंधा नमक और दही की चटनी बनाकर लकवे वाले स्थान पर लेप करें ।
लकवा / पक्षाघात (Paralysis) का आयुर्वेदिक उपचार:-
- अमृता गुग्गलः –३२ तोला गिलोय , १६ तोला शुद्ध गुग्गज १६ तोला हरड़े के छिल्के । इनको ३२ सेर पानी में पकाओ जब कसेर पानी रह जाय तब उतार कर रस निका लो , इस रसको उस समय तक फिर पकाओ कि जब तक गाढ़ा न हो जावे । गाढ़ा होने पर इसमें ३ तोला त्रिफला का चूर्ण मिला दो इसका नाम अमृता गूगल है । इसके सेवन से वातरक्त , कोढ़ , बवासीर मन्दाग्नि , प्रमेह , आमवात , भगन्दर उरुस्तम्भ आदि रोग नाश हो जाते हैं ।
- दूसरा अमृता गूगलः –६४ तोला शहद , ६ तोला आंवला १६ तोला पुनर्नवा । इनको कूट कर ३२ सेर पानी में पकाओ जब ८ सेर पानी रह जाय तब मल छान कर रस निकाल लो , फिर उस रस को गाढ़ा होने तक पकाओ । गाढ़ा होने पर दन्ती चीते की जड़ , पीपल , सौंठ , त्रिफला , गिलोय , दालचीनी , वाय विडंग ये सब दो २ तोला और निशोथ १ तोला पीस कर मिला दो यह भी अमृता गूगल है , इसके सेवन से कुष्ट , बवासीर , मन्दाग्नि दुस्टत्रण , प्रमेह , आमवात , भगन्दर , नाड़ी वात , उरु स्तम्भ , सूजन तथा अन्यान्य सब वात रोग नाश होते है ।
- एक तोला लहसुन पानी के साथ सिल पर महीन पीस कर और दो तोला तिल्ली के तेल में पका कर खाने से अर्दित या लकवा आराम होता है ।
- चार तोला सूखा हुआ लहसुन महीन पीस कर उसमें सेंधा नोन , मंचर नोन , त्रिकुटा , हींग सव चार २ मासा पीस छान मिला दो । इसकी मात्रा १ मासा की है । प्रात . ही इस चूर्ण को खाने से लकवा , सर्वाङ्ग वात ; कमर तथा पीठ की वात नाश होते है ।
- वच ३ तोला , स्याह जीरा १० मासा , कलौंजी १० मासा पौदीना १० मासा , काली मिरच १० मासा इन सबको पीस कर कपड़ छान करलो , फिर इस चूर्ण को २० तोला शहद में मिला लो । इनमे से ६ या 8 मासा तक दवा चाटने से लकवा , पक्षा घात वायु नाश होती है ।
- काले धतूर के पत्ते २८ मासा , सफेद कनेर की छाल २८ मासा , सफेद चिरमिटी २८ मासा । इनको सिल पर पीस कर लुगदी बनालो । इस लुगदी को पाव भर तिल्ली के तेल में ३ घन्टे तक खरल करो । फिर इसे कड़ाही में डाल कर मन्दाग्नि से पकायो जब दवा जल जाय तव उतार कर तेल छान लो । इस तेत की मालिश से लकवा , पक्षाघात , आमवात , अर्धाङ्ग वात रोग से निश्चय आराम होते हैं ।