
र + आ + म = राम मधुर , मनोहर , मनोरंजक , विलक्षण , चमत्कारी जिसकी महिमा तीन लोक से न्यारी है । रामचरितमानस के बालकांड के वंदना प्रसंग में कहा गया है
‘ नहिं कलि करम न भगति बिबेकू राम नाम अवलंबन एकू । ‘ मतलब यह है कि कलियुग में न तो कर्म का भरोसा है , न भक्ति का और न ज्ञान का ही , बल्कि केवल राम नाम ही एकमात्र सहारा है । पद्मपुराण में कहा गया है
रामेति नाम यच्छ्रोत्रे विश्रम्भादागतं यदि करोति पापसंदाहं तूलं वहिकणो यवा ॥ ॥ – पद्मपुराण , पाताल , खं . 20/80
अर्थात् जिसके कानों में ‘ राम ‘ यह नाम अकस्मात् भी पड़ जाता है , उसके पापों वह वैसे ही जला देता है , जैसे अग्नि की चिंगारी रुई को । पद्मपुराण में यह भी लिखा
राम रामेति रामेति रामेति च पुनर्जपन् ।
स चाण्डालोऽपि पूतात्मा जायते नात्र संशयः ॥
कुरुक्षेत्रं तथा काशी गया वे द्वारका तथा ।
सर्व तीर्थ कृतं तेन नामोच्चारणमात्रतः ॥
– पद्मपुराण , उत्तरा 71 / 20-21
अर्थात् राम , राम , राम , राम इस प्रकार बार – बार जप करने वाला चाण्डाल हो तो भी वह पवित्रात्मा हो जाता है । इसमें कोई संदेह नहीं है । उसने केवल नाम का उच्चारण करते ही कुरुक्षेत्र , काशी , गया और द्वारका आदि संपूर्ण तीर्थों का सेवन कर लिया ।
स्कंदपुराण में भगवान् शंकर देवी पार्वती से कहते हैं
रामेति द्वयक्षरजपः सर्वपापापनोदकः ।
गच्छंस्तिष्ठन् शयनो वा मनुजो रामकीर्तनात् ॥
इड निर्वर्तितो याति चान्ते हरिगणो भवेत् । -स्कंदपुराण , नागरखंड
अर्थात् ‘ राम ‘ यह दो अक्षरों का मंत्र जपे जाने पर समस्त पापों का नाश करता है । चलते , बैठते , सोते ( जब कभी भी ) जो मनुष्य राम – नाम का कीर्तन करता है , वह यहां कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान् हरि का पार्षद बनता है ।
इसमें कोई संदेह नहीं कि जो शक्ति भगवान् की है , उससे भी अधिक शक्ति भगवान् के नाम की है । नाम जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहराई तक उतरती हैं । इससे मन और प्राण पवित्र हो जाते हैं , शक्ति – सामर्थ्य प्रकट होने लगती है , बुद्धि का विकास होने लगता है , सारे पाप नष्ट हो जाते हैं , मनोवांछित फल मिलता है , सारे कष्ट दूर होते हैं , संकट मिट जाते हैं , मुक्ति मिलती है , भगवत्प्राप्ति होती है , भय दूर होते हैं , लेकिन जरूरत है , तो बस सच्चे हृदय और पवित्र मन से भगवन्नाम लेने की ।
इसे देखें – हिंदू धर्म में पूजा – कथा , आरती एवम् अन्य धार्मिक कार्य करते समय शंख बजाने के फायदे।