
प्रायः हर रोग के साथ पशु खाना पीना कम कर देता है तथा रोग से उबरते ही फिर से पहले की तरह खाना पीना शुरू कर देता है । भूख कम लगना हल्के रूप में भी हो सकता है या पशु बिल्कुल खाना पीना बंद भी कर सकता है । कभी कभी पशु सिर्फ एक विशेष प्रकार का आहार नहीं खाता है । कभी कभी मुंह में घाव होने , किसी चोट , सूजन या कोई चीज फंसी होने के कारण भी पशु नहीं खाता है । इसलिए रोग के इलाज से पहले पशु की जांच भी कर लेनी चाहिए ।
- आर्सेनिकम ( Arsonicum ) :- सड़ा गला , फफूंद लगा , अधिक सूखा या सख्त चारा खाने से हाजमा खराब हो और भूख नहीं लगे तो आर्सेनिकम की पांच बूंद दिन में दो बार दें ।
- नक्सवोमिका ( Nuxvomica ) :- जब किसी डायजेस्टिव गड़बड़ी के साथ कठोर मिंगने जैसा गोबर या मल आता हो तो नक्सवोमिका की पांच बूंद दिन में तीन बार दें ।
- पल्सेटिला ( Pulsatilla ):- जब भूख कम लगने के साथ प्यास भी नहीं लगती हो या दस्त हो , पैर ठंडे पड़ गये हो तो पल्सेटिला दें । पांच बूंद दिन में दो बार दें ।
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