
यह संक्रामक रोग है जिसमें युरेथ्रा , ब्लेडर और किडनी में सूजन हो जाती है । यह मुख्य रुप से गायों में पाया जाता है । बीकानेर क्षेत्र में यह नर ऊंटों में भी पाया जाता है ।
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बोवाइन पाइलोनेफ्राइटिस का कारण क्या है । ETIOLOGY OF BOVINE PYELONEPHRITIS
- बैक्टीरिया – Conynebacterium renale
- संक्रामक सांड के द्वारा गाय – भैंस में ।
- कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा इन्फेक्शन ।
- मिट्टी , गोबर आदि से योनि मार्ग में ।
बोवाइन पाइलोनेफ्राइटिस का लक्षण क्या हैं । SYMPTOMS OF BOVINE PYELONEPHRITIS
- मूत्र में लालिमा , ब्लड के कारण रंग लाल हो जाता है ।
- रिनल ( Renal ) कॉलिक होता है जो कुछ ही घंटों में बंद हो जाता है ।
- मूत्र के आखरी भाग में ब्लड , पस , म्युकस मेम्ब्रेन की कुछ मात्रा निकलती है ।
- पशु दर्द के कारण बार – बार मूत्र करता व कमजोर होता जाता है ।
- पशु लम्बे समय तक मूत्र करने की स्थिति में खड़ा रहता है ।
- Chronic case में किडनी , ब्लेडर व युटेरस फूल कर काफी बड़े हो जाते हैं । जिसे रेक्टल पेल्पेशन द्वारा मालूम किया जा सकता है ।
- कुछ ही महीनों में ureaemia हो जाता है ।
बोवाइन पाइलोनेफ्राइटिस के लिए कौन जॉच कराएं । CLINICAL PATHOLOGY OF BOVINE PYELONEPHRITIS
- मूत्र की जांच – बैक्टीरिया के लिए ( Gram + ve cocci , rods )
– रक्त कोशिकाओं के लिए
बोवाइन पाइलोनेफ्राइटिस में क्या बदलाव होता है । PM CHANGES OF BOVINE PYELONEPHRITIS
- किडनी दो – तीन गुना आकार में बढ़ जाती है ।
- किडनी के ऊपर हल्के रंग के नेक्रोसिस वाले भाग नजर आते हैं ।
- मूत्र नलियों में पस , ब्लड और म्युकस पाया जाता है ।
- ब्लेडर और युरेथ्रा की दीवारें मोटी हो जाती हैं तथा इनकी म्युकस मेम्ब्रेन घर घाव से लाल धब्बे नजर आते हैं ।
- ब्लेडर में थक्का जमा हुआ या साफ ब्लड नजर आता है ।
- मूत्र में अमोनिया सी गंध आती है ।
- ब्लेडर में रेत जैसे बारीक कण पाये जाते हैं ।
बोवाइन पाइलोनेफ्राइटिस का उपचार क्या है । TREATMENT OF BOVINE PYELONEPHRITIS
- Inj . Procain Penicillin G – 50 lacs iu in cow प्रतिदिन 7-10 दिन तक । ध्यान रहे युरिनरी रोगों में दवा का असर कम होता है इसलिए मूत्र की जांच कर लम्बे समय तक ट्रीटमेन्ट देवें ।
- युरिन एसिडिटी बढ़ाने के लिए सोडियम फॉस्फेट चार औंस कई दिनों तक दें ।
- युरिनरी एंटीसेप्टिक – पाउडर , गोली या इंजेक्शन के रुप में दें ।
- Neomycin , Gentamycin , kanamycin जैसी एंटिबायोटिक्स इस बीमारी में नहीं . देनी चाहिए ।
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