
वैसे तो अभी तक इस रोग की उत्पत्ति के बारे में ठीक से मालूम नहीं है परन्तु लक्षणों के अनुरूप की जाने वाली होम्योपैथिक चिकित्सा इस रोग में फायदेमन्द है ।
- त्वचा पर सफ़ेद दाग । जननांगों के आस – पास की त्वचा छिल जाए । – आर्स सल्फ फ्लेवम ६ या ३० , आवश्यकतानुसार
- त्वचा की परत का मोटा हो जाना । अत्यधिक पसीना । असहनीय ख़ारिश ख़ासकर तलुओं में । यदि आर्स सल्फ़ फ़्लेवम से फायदा न हो । – हाइड्रोकोटाइल ३०
- यदि रोगी को तपेदिक रोग ( tuberculosis ) हुआ हो या परिवार में ऐसा इतिहास हो । – ट्यूबरकुलाईनम २0० या 1M , आवश्यकतानुसार
- साइकोटिक ( sycotic ) म्याज्म से ग्रसित रोगियों का इलाज शुरू करने के लिए । – मैडोराइनम २०० या 1M , आवश्यकतानुसार
- आप Bhargava No 14 Lecodin drops भी युज कर सकतें हैं।

अन्य महत्वपूर्ण दवाएं : सल्फर , सोराइनम , लाइकोपोडियम , काली कार्य , सीपियश , आर्निका , कॉस्टिकम , एपिस मैल , आर्सेनिक एल्ब , ऑरम मैट , कैल्केरिया कार्ब , ग्रेफाइट्स , नेट्रम म्यूर , माइका , नाइट्रिक एसिड , फॉसफोरस , साइलिशिया , आदि ।
कुछ लोगों के मतानुसार बावची ऑयल या सोरेलिया Q के बाह्य प्रयोग से व सोरेलिया Q कुछ दिन लगातार लेने से फायदा होता है । परन्तु हमने देखा है कि सिर्फ व्यक्तिपरक ( constitutional ) चिकित्सा से ही इस रोग से ग्रसित रोगी को फायदा होता है ।
कॉर्न या गट्टे (Corns) का होम्योपैथिक दवा 🍻. एक्जीमा (Eczema) से छुटकारा होम्योपैथिक के द्वारा. फोड़े-फुंसी {Boils} जड़ से खत्म