
दस्त ( DIARRHOEA ) क्यों होता है । और कारण क्या है ?
दस्त विभिन्न तरह की हो सकती है । दूषित चारा पानी , पेट के कीड़े , हरे चारे का अधिक मात्रा में खाने से , अधिक मेहनत आदि कारणों से हो सकती है । पानी जैसी बार बार दस्त होने से पशु निरन्तर कमजोर होता जाता है । भूख नहीं लगती है , कमर से सिकुड़ जाता है । पेट भी फूल जाता है , पेट में दर्द रहता है ।
दस्त ( DIARRHOEA ) का होम्योपैथीक दवा क्या है ?
- एकोनाइट ( Aconite ) – इसे दस्त की शुरूआती अवस्था में दे जब दस्त के साथ हल्का बुखार हो । 5 बूंद हर दो तीन घंटे बाद , 2-3 बार ।
- नक्सवोमिका ( Nuxvomica ) – पतले , बदबूदार दस्त , गैस भी निकलती हो , दस्त के साथ कब्ज , नक्स कुछ दिन तक देने के बाद एसिड फॉस या मर्क देना चाहिए ।
- आर्सेनिकम ( Arsenicum ) – पतले दस्त , हरे भूरे रंग के दस्त , गड़गडाहट , दर्द हो भी सकता है और नही भी ।
- मर्कयूरिस ( Mercurius ) – जब गोबर के साथ म्युकस आती हो , हल्का दर्द हो । ऐसे में इसे आर्सेनिकम के साथ बदल कर दे सकते है ।
- एसिडकम फॉस ( Acidicum Phos ) – इसके लक्षण आर्सेनिकम जैसे ही रहते है ।
- चायना ( China ) – क्रॉनिक डायरिया में यह उपयोगी है , जब दस्त गर्मी के कारण हो , दर्द नही हों । भूख नहीं लगती हो । इसको दस्त कम होने के बाद एक टॉनिक के रूप में भी दे सकते है । दिन में दो बार दें ।
- ब्रायोनिया ( Bryonia ) – जब दस्त के बाद कब्ज हो , जब वातावरण में गर्मी से ठंड का बदलाव हो , दस्त बहुत ज्यादा पतली हो ।
- वेराट्रम एल्बम ( Veratrumalbum ) – बार बार तेज पतले दस्त से भयंकर कमजोरी , पशु निढाल सा मुंह लटकाए लेटा रहता हो , शरीर ठंडा पड़ गया हो । शुरू में इसे हर आधे घंटे बाद दें , फिर लक्षण कम होने के बाद अन्तराल बढ़ाते जाए ।
- पल्सेटिला ( Pulsatilla ) – यह बछड़ो के दस्तों में काफी उपयोगी है । 5 बूंद दिन में दो बार दें ।
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