मूत्र के मार्ग में कहीं भी विभिन्न लवणों के कणों का एकत्रित हो जाना “ पथरी ” ( urinary calculi ) कहलाता है । मूत्र मार्ग में अलग अलग स्पीसीज के एनिमल्स में पथरी का बनना भी अलग – अलग स्थान पर होता है । प्रायः बधिया किये हुए मेल एनिमल , जैसे बैल या ऊंटों में यह अधिक पाया जाता है ।
बैल में पथरी केल्शियम , मेग्नेसियम और अमोनियम फॉस्फेट लवणों के जमा होने से बनती है । घोड़ों में यह केल्सियम कार्बोनेट , केल्सियम फॉस्फेट व मेग्निसियम कार्बोनेट लवणों के जमा होने से बनती है । एक बार मूत्र मार्ग में पथरी के बनने से मूत्र मार्ग में रुकावट के कारण मूत्र आना बंद हो जाता है । युरिनरी ब्लेडर भर जाने से बड़ा हो जाता है और आखिर में क्षमता से अधिक मूत्र आने से ब्लेडर फट जाता है ।
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पथरी होने का कारण क्या है । ETIOLOGY OF URINARY CALCULI
- इन्फेक्शन , विटामिन ए की कमी आदि कारणों से मूत्र मार्ग की एपीथिलियम कोशिकाएं उखड़ती हैं । म त कोशिकाएं एक जगह इकट्ठी होकर पथरी बनने को बढ़ावा देती है ।
- एनिमल को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलने पर मूत्र गाढ़ा हो जाता है जिससे पथरी बनने की संभावना अधिक हो जाती है ।
- जहां पानी कठोर हो , पानी में केल्सियम व विटामिन – डी की मात्रा अधिक हो तो इस स्थिति में पथरी जल्दी बनती है ।
- अधिक मात्रा में सल्फोनामाइड और इस्ट्रोजन हार्मोन देने से यह स्थिति बनती है ।
विभिन्न स्पीसीज में पथरी के पाये जाने के संभावित स्थान ।
All species – Ischial arch
Bullock , Camel – Sigmoid flexor

पथरी होने का लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF URINARY CALCULI
- दर्द – मूत्र मार्ग में रुकावट के कारण एनिमल को काफी दर्द होता है ।
- हीमेचुरिया – कभी – कभी मूत्र के साथ ब्लड भी आता है ।
- मूत्र करने में तकलीफ मूत्र बूंद – बूंद आता है या बिल्कुल बंद हो जाता है ।
- ब्लेडर में क्षमता से अधिक मूत्र भर जाने से फट ( rupture ) जाता है ।
- युरिमिया – मूत्र के जरिए बाहर निकलने वाला यूरिया ब्लड के अंदर ही रहने के कारण । ब्लड युरिया लेवल बढ़ जाता है – युरिमिया ।
गुर्दे में पथरी का लक्षण । SYMPTOMS OF CALCULI IN KIDNEY ( Renal Calculi )
- एक या दोनों किडनी में पथरी हो सकती है ।
- यदि किडनी में बनी हुई पथरी मूत्र मार्ग में रुकावट बनती है तो गंभीर रिनल कॉलिक होता है जिसके कारण बैल पेट पर बार – बार लातें मारता है ।
- मूत्र करते समय अकड़न होती है तथा मूत्र करने की बार – बार कोशिश ।
- डॉग में ऐसा होने पर चिल्लाता है तथा उल्टियां भी होती है ।
- रिनल केल्क्युलाई में घोड़ा दर्द के मारे जमीन पर लोटता है ।
मूत्राशय के पथरी का लक्षण । SYMPTOMS OF CALCULI IN BLADDER ( Cystic Calculi )
- छोटी – छोटी पथरी किडनी से मूत्र के साथ बाहर ब्लेडर में आ जाती है तथा यहां आकर ठहरकर बड़ी होती है । इसके अलावा खुद ब्लेडर में भी पथरी बन जाती है ।
- ब्लेडर में एक से अधिक , चिकनी या खुरदरी पथरी हो सकती है ।
- आकार में ये छोटी या बड़ी भी हो सकती है । मादा पशुओं के ब्लेडर में हमेशा बड़े आकार की पथरी पाई जाती है ।
- मूत्र में खून , मवाद का आना , मूत्र करने की बार – बार कोशिश करना ।
- गाय , भैंस , घोड़ों में रेक्टम द्वारा जांच – मूत्र से पूरी तरह भर कर तने हुए ब्लेडर की जांच की जा सकती है ।
- डॉग्स में एक्स – रे द्वारा cystic calculi का पता लगाया जाता है ।
मूत्रमार्ग में पथरी का लक्षण । SYMPTOMS OF URETHRAL CALCULI
- युरेथ्रा में पथरी सिर्फ मेल एनिमल्स में पायी जाती है ।
- पशु बार – बार जमीन पर लेटता है और उठता है , बैचेनी महसूस करता है ।
- मूत्र मार्ग में आंशिक रुकावट होने पर बूंद – बूंद कर मूत्र आता है तथा मूत्र करते समय उभरी हुई युरेथा के बाहर त्वचा पर लहर जैसी नजर आती है ।
- मूत्र मार्ग पूरी तरह रुक जाने पर मूत्र में युरिया लेवल बढ़ जाने से युरेमिया हो जाता है । ब्लेडर में क्षमता से अधिक मूत्र एकत्रित हो जाने से फट जाता है । ब्लेडर फटने पर सारा मूत्र एब्डोमिनल केविटी में एकत्रित हो जाता है और जल्दी ही पशु की मौत हो जाती है ।
PM CHANGES :-
- युरेथ्रा , ब्लेडर या किडनी में पथरी ।
- ब्लेडर में अत्यधिक सूजन , सिस्टाइटिस , ब्लेडर फटा हुआ ( ruptured )
पथरी का डायग्नोसिस । DIAGNOSIS OF URINARY CALCULI
- Large animals – by rectal examination .
- Small animals – by X – ray .
पथरी का उपचार । TREATMENT OF URINARY CALCULI
- सर्जिकल ट्रीटमेन्ट – युरेथ्रोटॉमी – ऑपरेशन द्वारा पथरी को बाहर निकालना ही एक मात्र इलाज है ।
- युरिन pH की जांच कर उसे acidifier या alkaliser medicines से सुधारें ।
- यदि इंफेक्शन हो तो उपयुक्त एटिबायोटिक्स से इसे रोकें ।
एक मात्र व सफल इलाज ऑपरेशन ही है इसलिए जहां तक संभव हो जल्दी ही ऑपरेशन कर पथरी को निकालना चाहिए । इसमें थोड़ी सी देर पशु के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।देरी होने पर ब्लेडर भरता जाएगा तथा अंत में फट जाता है । उसके बाद बड़े पशु को बचाना मुश्किल हो जाता है । अधिकांश ऐसे पशुओं में युरिमिया हो जाता है तथा पशु की मौत हो जाती है । कई बार तो ब्लेडर फटने से पहले ऑपरेशन द्वारा पथरी बाहर निकलने के बावजूद भी युरिमिया के कारण पशु की मौत हो जाती है । इसलिए ऐसे मामलों में जल्दी ऑपरेशन किया जाना बहुत जरूरी है ।
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पथरी का होम्योपैथिक उपचार । HOMEOPATHIC TREATMENT OF URINARY CALCULI
- बर्बेरिस वल्गैरिस Q ( Barberis Vulgaris ) – गुर्दे में तेज दर्द हो , पशु बार – बार मूत्र करें ; हर पन्द्रह मिनट के बाद दें ।
- लाइकोपोडियम ( Lycopodium ) – पुरानी बीमारी , मूत्र गाढे लाल रंग का हो , मूत्र धीरे – धीरे जोर लगाने पर आए कभी – कभी मूत्र में रूकावट । ।
- पेरिअरा ब्रावा ( Periara Brava ) – मूत्र मार्ग में पथरी के कारण असहनीय पेट दर्द ।
- टैरेबिन्थ Q ( Terebinth Q ) – मूत्र में बहुत तेज जलन व दर्द , पेशाब गाढा व ब्लड मिला हुआ , धुंधला , कालापन लिए हुए । 5-5 बूंद दिन में 3-4 बार दें ।
- कैंथेरिस ( Cantharis ) – गुर्दे व मुत्राशय में सूजन , तेज दर्द , मूत्र मुश्किल से हो , मूत्र की जगह बूंद – बूंद कर ब्लड आए । दिन में चार बार दें ।
- मैग्नेशिया फॉस ( Mag . Phos 6x ) – यह बायोकैमिक दवा है । हर दो घंटे बाद दें ।
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