
तिलक क्यों लगाते है ?
शास्त्रों के अनुसार यदि ब्राह्मण तिलक नहीं लगाता तो उसे ‘ चण्डाल ‘ समझना चाहिए । तिलक धारण करना धार्मिक कार्य माना गया है । क्या तिलक केवल ब्राह्मण लगा सकते हैं अन्य जातियाँ नहीं ? तिलक , त्रिपुण्ड , टीका अथवा बिन्दिया आदि का सीधा संबंध मस्तिष्क से होता हैं ।
मनुष्य की दोनों भौंहों के बीच ‘ आज्ञा चक्र स्थित है । इस चक्र पर ध्यान केन्द्रित करने पर भी साधक का मन पूर्ण शक्ति सम्पन्न हो जाता है । इसे ‘ चेतना केन्द्र ‘ भी कहा जाये तो अनुचित न होगा अर्थात् समस्त ज्ञान एवम् चेतना का संचालन इसी स्थान से होता है । आज्ञा चक्र ‘ ही तृतीय नेत्र ‘ है इसे ‘ दिव्यनेत्र ‘ भी कहते हैं । तिलक लगाने से आज्ञा चक्र ‘ जागृत होता हैं जिसकी तुलना राडार , टेलिस्कोप आदि से की जा सकती है । इसके अलावा तिलक सम्मान – सूचक भी है । तिलक लगाने से साधता ( सज्जनता ) एवम् धार्मिकता का आभास होता है ।
वैज्ञानिक कारण – जब हम मस्तिष्क से आवश्यकता से अधिक काम लेते हैं तब ज्ञान – तन्तुओं के विचारक केन्द्र भृकुटि और ललाट के मध्य भाग में पीड़ा उत्पन्न हो जाती है । ठीक उस स्थान पर जहाँ तिलक , त्रिपुण्ड लगाते हैं । चन्दन का तिलक ज्ञान – तन्तुओं को शीतलता प्रदान करता है । जो प्रतिदिन प्रातः काल स्नान के पश्चात् चन्दन का तिलक लगाता है उसे सिर दर्द की शिकायत नहीं होती । इस तथ्य को डाक्टर्स एवम् वैद्य , हकीम भी स्वीकार करते हैं ।

कुंकम क्या हैं ? इसका तिलक क्यों लगाते हैं ?
कुंकम हल्दी का चूर्ण होता हैं जिसमें नींबू का रस मिलाने से लाल रंग का हो जाता हैं । आयुर्वेद के अनुसार कुंकम त्वचा शोधन के लिए सर्वोत्तम औषधि हैं । इसका तिलक लगाने से मस्तिष्क तन्तुओं में क्षीणता नहीं आती ।
भस्म का तिलक क्यों लगाते हैं ?
भस्म को एक तरह से देवताओ का प्रसाद जानें । भोग के लिए देवताओं को चढ़ाया गया मिष्ठान्न आदि तो प्रसाद होता है किन्तु यज्ञ भस्म ऐसा प्रसाद है जो खाया नहीं जाता बल्कि यह भस्म रूपी राख सिर में एवम् शरीर में पूरी श्रद्धा भक्ति से लगायी जाती है ।