तपेदीक ( टी . बी . ) क्यों होता है।
टी . बी का रोग किटाणुजन्य होता है । इसके अलावा प्रदुषित वातावरण में रहने से , अधिक श्रम करने से , चिंता करने से और पौष्टिक आहार न मिलने से यह रोग होता है ।
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तपेदीक ( टी . बी . ) का लक्षण क्या है ।
शुरूआत में हल्का बुखार आता है और थकान का अनुभव होता है । धीरे – धीरे थकान बढ़ती जाती है और खाँसी शुरू होती है और खाँसी के साथ खून भी आने लगता है । धीरे – धीरे वजन कम होता जाता है । और भूख भी नहीं लगती । छाती में लगातार दर्द रहना , अपच होना , मिचली आना और साँस लेने में तकलीफ और पतले दस्त होना और बूंद – बूंद करके पेशाब आना इसके प्रमुख लक्षण हैं ।
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तपेदीक ( टी . बी . ) का घरेलू उपचार :-
- केले के पत्तों को सुखाकर उसकी राख बनायें । आधा चम्मच राख शहद के साथ प्रतिदिन चाटें । इसके साथ – साथ कच्चे केले की सब्जी बनाकर खायें और दो चम्मच केले के तने का रस भी पीयें ।
- भोजन के बाद पके केले खाने से भी रोग में काफी आराम मिलता है ।
- आँवला तथा सेब का मुरब्बा खाने से टी.बी . में काफी आराम मिलता है ।
- आधा चम्मच पीपल के फलों का चूर्ण गाय के दूध के साथ लें ।
- प्रतिदिन आम का रस गाय के दूध के साथ पिलायें ।
- देशी गाय के घी में 2 लौंग का चूर्ण बनाकर चाटें ।
- कच्चे लहसुन की 4 कला और 5 ग्राम अखरोट की गिरी दोनों को पीसकर गाय के घी में भूनकर खायें ।
- गाय के दूध की लोणी में थोड़ा शहद 3 पिपल तथा 3 लौंग का चूर्ण मिलाकर 10 ग्राम देशी बूरा मिलायें और सुबह – शाम 1-1 चम्मच चाटें ।
- अर्जुन की छाल , गुलसकरी और कौंच के बीज तीनों को समान मात्रा में पीसकर गाय के दूध में पकायें , पकने के बाद 15 ग्राम देशी गाय का घी तथा मिश्री मिलाकर सेवन करें ।
- अश्वगंध और पीपल का चूर्ण + घी + शहद को क्रमशः 2 : 2 : 4 : 8 की मात्रा में मिलाकर पेस्ट बनाकर चाटें ।
- आधा लीटर बकरी के दूध में कददूकस किया हुआ 10 ग्राम नारियल तथा 4 ग्राम पिसे हुऐ लहसुन को दूध में डालकर उबाले । जब दूध आधा रह जाये तो थोड़ा – थोड़ा सुबह – शाम पीयें ।
- गिलोय का सत्त और छोटी पिपली 2.5 : 1 मात्रा में चूर्ण बनाकर प्रतिदिन प्रात : काल लें ।
- दालचीनी का चूर्ण शहद के साथ दिन में 3-4 बार चाटें ।
- मुलहठी का चूर्ण , शहद और मिश्री को समान मात्रा में लेकर मिलायें । तथा प्रातः काल में सेवन करें । तपेदिक में लाभ मिलेगा ।
- लहसुन का इस्तेमाल और कच्चे नारियल का इस्तेमाल तपेदिक के कीटाणुओं को मारता है ।
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