पशुओं के खुर पकने का कारण, लक्षण तथा उपचार । TREATMENT OF FOOT ROT

अन्य नाम – Foul in the foot , Infections pododermatitis , खुर पकना ।

यह पशुओं के खुरों का संक्रामक ( Infectious ) रोग है जिसमें खुरों के बीच सूजन , घाव बन जाना ( ulcers ) तथा कुछ भाग मर जाता है ( necrosis ) ये लक्षण खुर के थोड़ा ऊपर वाले कोरोनरी भाग व पीछे भी नजर आते हैं । साधारण बोली में इसे ” खुर पकना ” कहते हैं । वैसे तो यह मुख्य रूप से भेड़ , बकरियों का रोग है लेकिन गाय में भी पाया जाता है । प्रायः यह रोग उन पशुओं में अधिक होता है जिनके खुर में पानी , गोबर व मूत्र की निकासी की अच्छी व्यवस्था नहीं होती है । फूट रॉट गर्म व नमी वाले मौसम में अधिक होता है ।

इसे देखें – खुरपका – मुंहपका रोग (FOOT AND MOUTH DISEASE ) के कारण, लक्षण , उपचार एवं होम्योपैथीक इलाज

खुर पकने का कारण क्या है । ETIOLOGY OF FOOT ROT

Bacteria – Spherophorous necrophours

जिन पशुओं के खुर अधिक दिनों तक गंदे पानी , मिट्टी , गोबर आदि से भीगे रहते हैं । उनके खुरों के बीच व आसपास चमड़ी हल्की उखड़ जाती है । ऐसे छोटे घावों से बैक्टीरिया प्रवेश कर फूट रॉट के लक्षण पैदा करते हैं ।

इसे पढ़ें– पालतु पशुओं के युरेथ्रा , ब्लेडर और किडनी में सूजन का कारण एवम् उपचार । TREATMENT OF BOVINE PYELONEPHRITIS

खुर पकने का लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF FOOT ROT

  • खुरों के बीच घाव ( ulcers ) पड़ जाने से लगड़ापन ( lamness ) प्रमुख लक्षण ।
  • हल्का बुखार , चारा कम खाना , शरीर के वजन में कमी , दूध में कमी ।
  • खुर के बीच घाव व सूजन के कारण दर्द होता है , पशु बार – बार पैर उठाता है ।
  • पशु सामान्य रूप से चल नहीं पाता है तथा लंगड़ाकर चलता है ।
  • भेड़ों में इलाज न होने से खुर के खोल उतर जाते हैं ।
  • एफ.एम.डी. में खुरों के बीच च मुंह पर छाले ( vesicles ) बनते हैं जबकि फूट रॉट में सिर्फ खुरो के बीच धाव होने से खुर वाला भाग गल जाता है ।

खुर पकने का उपचार क्या हैं । TREATMENT OF FOOT ROT

  • Antibiotics – Tetracycline , Penicillin , Sulphonamides
  • खुरों को हल्के रूप से धोकर जी.वी. पेंट या 5 % कॉपर सल्फेट लगाएं । घाव पर ऐसा एंटीबायोटिक मल्हम भी लगाएं जो मक्खियों को घाव पर बैठने से रोकें तथा घाव भरने में मदद करें ।
  • पशुओं को सूखी जगह पर रखें तथा अन्य पशुओं को 5 % कॉपरसल्फेट घोल का फूट बाथ दें ।

इसे पढ़ें – पशुओं के एस्केरिओसिस (कृमि) का कारण, लक्षण तथा उपचार । TREATMENT OF ASCARIOSIS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *