अन्य नाम – Wooden tongue .

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एक्टिनोबेसिल्लोसिस ( ACTINOBACILLOSIS ) क्या है।
यह गौ पशुओं व अन्य पशुओं का लम्बे समय तक चलने वाला संक्रामक रोग है जिसमें जीभ में सूजन आने से कठोर हो जाती है तथा गर्दन , सिर , ओरल केविटी , नाक के मार्ग आदि में भी सूजन आ जाती है । जीभ सूज कर लकड़ी जैसी हो जाने के कारण ही इस रोग को वूडन टंग ( wooden tongue ) कहा जाता है ।
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एक्टिनोबेसिल्लोसिस ( ACTINOBACILLOSIS ) का कारण क्या है।
ETIOLOGY – Bacteria – Actinobacillus lignieresi
यह रोग गाय , भैंस व भेड़ में अधिक पाया जाता है । इनमें 2 से 5 वर्ष की उम्र वाले पशु अधिक चपेट में आते हैं । ऐसा माना जाता है कि इसके बैक्टीरिया मुंह में रहते हैं तथा घावों के जरिए शरीर के दूसरे भागों में फैल जाते हैं । जब भी मुंह में किसी सख्त चारे , नुकीली चीज , तेज केमिकल , जलन आदि से घाव हो जाते हैं तो बैक्टीरिया द्वारा रोग फैलने का मौका मिल जाता है ।
खुरपका – मुंहपका , स्टोमेटाइटिस जैसे रोगों में पशु मुंह में छाले व घाव जाते हैं । ऐसे समय इन घावों के जरिए बैक्टीरिया सॉफ्ट टिश्यू में प्रवेश कर रोगग्रस्त कर देते हैं । इसके अलावा रोगी शरीर के इन्फेक्टेड डिस्चार्ज व दूषित घास , चारा , दाना आदि से भी फैल जाता है । हालांकि इसमें रोगी पशु की मौत नहीं होती है ।
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एक्टिनोबेसिल्लोसिस का लक्षण क्या है । SYMPTOMS OF ACTINOBACILLOSIS
- की जीभ सूज कर मोटी व सख्त होना । ( wooden tongue )
- मुंह में चारा लाने व चबाने में भारी तकलीफ तथा अधिक लार गिरना ।
- पशु बार – बार मुंह में जीभ को घुमाता है , जैसे कोई फॉरेन बॉडी अन्दर फंस गई हो । लम्बी लार गिरना । ( drooling salvia ) .
- खासतौर से जीभ के आधार पर सूजन व कठोरता अधिक होती है ।
- जीभ मुंह से थोड़ी बाहर निकली होती है तथा जीभ की साइड में हल्के घाव ( nodules and ulcers ) भी हो जाते हैं ।
- बाद में जब सूजन कम हो जाती है तो जीभ कठोर ( fibrous ) हो जाती है तथा कम गति करती है ( woodan tangus ) .
- ओरल केविटी में लिम्फ नोड्स बड़ी हो जाती है जिसमें से बिना बदबू की पतली व दानेदार मवाद निकलती है ।
- भेड़ों में जीभ में ये लक्षण ( lesions ) नहीं पाये जाते हैं । इसकी बजाय नीचले जबड़े , चेहरे तथा नाक पर तथा गले के नीचे चमड़ी पर गांठनुमा फोड़े नजर आते हैं जिसमें से हरी – पीली दानेदार मवाद निकलती है ।
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एक्टिनोबेसिल्लोसिस ( ACTINOBACILLOSIS ) का डायग्नोसिस (DIAGNOSIS) कैसे करें ।
- गायों में मुंह व जीभ के लक्षणों ( lesions ) के आधार पर |
- मुँह व गले की त्वचा से निकलने वाली पस की जांच द्वारा ।
- रोग की शुरुआती अवस्था में पशु द्वारा खाना – पीना बंद करने तथा मुंह से लार गिरने से रैबीज का भ्रम हो सकता है । लेकिन एक्टिनोबेसिलोसिस में बाद में पशु पानी पीता रहता है जबकि रैबीज में पशु पानी नहीं पीता है ।
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एक्टिनोबेसिल्लोसिस ( ACTINOBACILLOSIS ) का रोक थाम क्या है ।
- रोगी पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें तथा जल्दी ही इलाज करें ।
- रोगी पशु के मुंह , नाक , मवाद आदि के डिस्चार्ज के आसपास पड़े चारा – दाना व अन्य पशु उपयोगी चीजों को दूषित न होने दें ।
- एक्टिनोबेसिलोसिस का कोई वैक्सीन विकसित नहीं हुआ है।
- चूंकि यह एक जूनोटिक रोग है इसलिए पशुपालक को पशु के रखरखाव में व पशुचिकित्सकों को चिकित्सा के दौरान सावधानी रखनी चाहिए ।
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एक्टिनोबेसिल्लोसिस ( ACTINOBACILLOSIS ) का एलोपैथिक उपचार ।
- यदि रोग के लक्षण त्वचा तक ही सीमित है तथा शुरुआती अवस्था में ही है तो ऐसे में इलाज करने पर रोग अधिक गंभीर नहीं होता है ।
- जीभ व अन्य भाग पर जहां भी एसेस बनी हो उसे ओपन कर आयोडिन से ड्रेसिंग करें । घाव में आयोडिन से भीगा हुआ गॉज भी डालें ।
- घाव के पास ल्युगोल्स आयोडिन का इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है |
- पोटेशियम आयोडाइड ( KI ) – गुड़ के साथ या नाल द्वारा पशु को खिलाएं । Dose – 10 gm / day for 10 days .
- सोडियम आयोडाइड ( Nal ) – 10 % -20 % solution Dose – 10 gm / 120 kg b.wt. , VERY SLOW I/V
- सोडियम आयोडाइड का काफी अच्छा असर होता है । इसका मात्र एक इंजेक्शन देते ही 1-2 दिन में रोग के लक्षण मिट जाते हैं ।
- Antibiotics – Streptomycin , Sulpha drugs
- Inj . Streptomycin – 2.5-5gm / day I / M for 3-5days .
- Inj . Sulpha trimethoprium -1ml / 30kg b.wt . , I / M , I / V .
एक्टिनोबेसिल्लोसिस ( ACTINOBACILLOSIS ) का होम्योपैथी उपचार ।
- काली हायड्रोआयोड ( Kali hydroiod ) – 5 बूंदे दिन में दो बार 12 दिन तक दें ।
- मर्युरियस आयोडायट फ्लेवस ( Mere lod . Flav . ) – गले की बांयी ओर सूजन हो तो इसे दिन में चार बार एक सप्ताह तक दें ।
- मयुरिस आयोडायड रूबर ( Merc . lod . Ruber ) – गले की दांयी ओर सूजन हो तो इसे दिन में चार बार एक सप्ताह तक दें ।
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